
छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह त्योहार सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। छठ पूजा दिवाली के छठे दिन से शुरू होती है और चार दिनों तक चलती है।
छठ पूजा के धार्मिक महत्व
छठ पूजा का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह त्योहार सूर्य देवता को धन्यवाद देने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। सूर्य देवता को जीवन का आधार माना जाता है, और उनकी पूजा से जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। छठी मैया, जो प्रकृति की छठी रूप मानी जाती हैं, की भी पूजा की जाती है, जो बच्चों को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं.
छठ पूजा के वैज्ञानिक तथ्य
छठ पूजा के सभी अनुष्ठानों का वैज्ञानिक आधार भी है, जो स्वास्थ्य और कल्याण के सिद्धांतों से मेल खाता है:
- डिटॉक्सिफिकेशन: छठ पूजा के दौरान उपवास रखने से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता है। लंबे समय तक भोजन से परहेज करने और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन करने से शरीर को शुद्ध करने में मदद मिलती है.
- सूर्य की किरणों का लाभ: सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन डी का अवशोषण बढ़ता है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है.
- जल में खड़े होकर प्रार्थना: जल में खड़े होकर प्रार्थना करने से शरीर में सौर जैव-विद्युत प्रवाह बढ़ता है, जो शरीर की समग्र कार्यक्षमता को सुधारता है.
छठ पूजा के अनुष्ठान
छठ पूजा के अनुष्ठान चार दिनों तक चलते हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख चरण शामिल हैं:
- नहाय-खाय: पहले दिन, भक्त स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन का सेवन करते हैं।
- खरना: दूसरे दिन, भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाते हैं।
- संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन, भक्त डूबते सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं।
- उषा अर्घ्य: चौथे दिन, उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है.
छठ पूजा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
छठ पूजा न केवल धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है। छठ पूजा के दौरान, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर पूजा करते हैं और प्रसाद बांटते हैं, जिससे समाज में एकता और भाईचारे की भावना मजबूत होती है.
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