
गोवर्धन पूजा (गोवर्धन पूजा), जिसे अन्नकूट (अन्नकूट) के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा।
महत्व
गोवर्धन पूजा उस दिन की याद दिलाती है जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल के निवासियों को भगवान इंद्र के क्रोध से बचाया था। यह घटना प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को दर्शाती है और विनम्रता और भक्ति का मूल्य सिखाती है।
अनुष्ठान
- गोवर्धन पर्वत बनाना: भक्त गोबर से एक छोटा पहाड़ बनाते हैं, जो गोवर्धन पर्वत का प्रतीक होता है।
- भोजन का अर्पण: भगवान कृष्ण को अर्पित करने के लिए विभिन्न प्रकार के शाकाहारी व्यंजन तैयार किए जाते हैं, जिन्हें अन्नकूट कहा जाता है। इसमें मिठाइयाँ, नमकीन और अन्य पारंपरिक भोजन शामिल होते हैं।
- पूजा और आरती: भक्त भगवान कृष्ण की स्तुति में प्रार्थना और आरती करते हैं, भजन गाते हैं।
मुहूर्त समय
- प्रातःकाल मुहूर्त: 2 नवंबर 2024 को सुबह 6:14 से 8:33 बजे तक।
- सायंकाल मुहूर्त: 2 नवंबर 2024 को शाम 3:33 से 5:53 बजे तक।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
गोवर्धन पूजा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। गोबर का उपयोग पर्यावरण के लिए लाभकारी होता है क्योंकि यह प्राकृतिक उर्वरक है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है। इसके अलावा, गोबर में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो वातावरण को शुद्ध करते हैं। इस प्रकार, गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
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