
9रात्रि के चौथे दिन, माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माँ कूष्मांडा को सृष्टि की रचयिता माना जाता है। उनके नाम का अर्थ है “कू” (थोड़ा), “उष्मा” (ऊर्जा) और “अंडा” (ब्रह्मांडीय अंडा), जो सृष्टि के प्रारंभ का प्रतीक है.
माँ कूष्मांडा की कथा
माँ कूष्मांडा की कथा के अनुसार, जब ब्रह्मांड में अंधकार और शून्यता थी, तब देवी पार्वती ने कूष्मांडा रूप धारण किया और अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड को प्रकाश और ऊर्जा से भर दिया। उनकी मुस्कान से उत्पन्न ऊर्जा ने सृष्टि की रचना की। इस रूप में, वे अनाहत चक्र (हृदय चक्र) से जुड़ी होती हैं, जो प्रेम, करुणा और सकारात्मकता का प्रतीक है.
माँ कूष्मांडा के इस रूप में आठ भुजाएँ होती हैं, जिनमें वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला धारण करती हैं। वे सिंह पर सवार होती हैं और उनकी मुस्कान से चारों दिशाओं में प्रकाश फैलता है। इस रूप में, वे अपने भक्तों को स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। माँ कूष्मांडा की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में संतुलन और शांति आती है।
पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें: यह दिन की शुरुआत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्वच्छता और पवित्रता का ध्यान रखना आवश्यक है।
- पूजा स्थल को साफ करें और माँ कूष्मांडा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें: पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखना चाहिए और माँ की प्रतिमा या तस्वीर को उचित स्थान पर स्थापित करना चाहिए।
- दीपक जलाएं और माँ को पीले फूल, हलवा और दही अर्पित करें: दीपक जलाने से वातावरण पवित्र होता है और माँ को पीले फूल, हलवा और दही अर्पित करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें: यह पाठ माँ की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- शाम को भी पूजा करें और माँ दुर्गा की आरती करें: दिन में दो बार पूजा करने से माँ की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
- व्रत का पालन करें और सत्त्विक भोजन ग्रहण करें: व्रत का पालन करने से आत्मशुद्धि होती है और सत्त्विक भोजन ग्रहण करने से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।
मंत्र
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
माँ कूष्मांडा की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में संतुलन और शांति आती है। उनकी कृपा से भक्तों के सभी पाप, कष्ट, शारीरिक पीड़ा, मानसिक तनाव और भूत-प्रेत बाधाएं समाप्त हो जाती हैं.
माँ कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि भौतिक सुख-समृद्धि भी प्रदान करती है। उनकी पूजा से भक्तों को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। माँ कूष्मांडा की कृपा से जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है।
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