
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय डॉक्टर की बलात्कार और हत्या का मामला 9 अगस्त, 2024 को सामने आया। प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या बताया गया, लेकिन बाद में यह हत्या निकली। संजय रॉय सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। 27 अगस्त को विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। 3 सितंबर को सरकार ने अपराजिता बिल पारित किया, जो बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करता है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को डॉक्टरों को काम पर लौटने का निर्देश दिया और CBI को जांच की निगरानी सौंपी। वर्तमान में, मामला गहन जांच के अधीन है और विरोध जारी है, जिसमें न्याय और प्रशासनिक जवाबदेही की मांग की जा रही है।
यहाँ कोलकाता डॉक्टर मामले की घटनाओं का विस्तृत विवरण है:
9 अगस्त, 2024:
- कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय पोस्टग्रेजुएट प्रशिक्षु डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल में पाया गया। प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या बताया गया, लेकिन बाद में यह बलात्कार और हत्या का मामला निकला।
10 अगस्त, 2024:
- कोलकाता पुलिस ने इस मामले में संजय रॉय नामक एक सिविक वॉलंटियर को गिरफ्तार किया।
- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या की गई।
11 अगस्त, 2024:
- बंगाल सरकार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधीक्षक को इस घटना में लापरवाही के आरोप में स्थानांतरित कर दिया।
27 अगस्त, 2024:
- पश्चिम बंगाल छात्र समाज और संग्रामि संयुक्त मंच द्वारा आयोजित ‘नबन्ना अभियान’ में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ।
- प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसमें आंसू गैस, पानी की बौछार और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया गया।
3 सितंबर, 2024:
- सरकार ने अपराजिता बिल पारित किया, जो बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करता है।
9 सितंबर, 2024:
- सुप्रीम कोर्ट ने विरोध कर रहे डॉक्टरों को काम पर लौटने की समय सीमा तय की और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को 17 सितंबर तक ताजा स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
10 सितंबर, 2024:
- इस मामले में पांच गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें मुख्य आरोपी संजय रॉय, अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, दो विक्रेता और एक सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं।
- डॉक्टरों ने पारदर्शी जांच और पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए विरोध जारी रखा।
वर्तमान स्थिति
- यह मामला वर्तमान में CBI द्वारा गहन जांच के अधीन है, और सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है।
- विरोध और जनाक्रोश जारी है, जिसमें प्रशासनिक जवाबदेही और न्याय की मांग की जा रही है।
यह मामला प्रारंभिक जांच में गंभीर चूक को उजागर करता है और न्याय और प्रशासनिक जवाबदेही की व्यापक मांगों को जन्म देता है।
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