
बिहार राज्य का समस्तीपुर जिला न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक, प्रशासनिक और धार्मिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. समस्तीपुर का परंपरागत नाम सरैसा है. इसका वर्तमान नाम मध्यकाल में बंगाल एवं उत्तरी बिहार के शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के नाम पर पड़ा है. कुछ लोगों का मानना है कि इसका प्राचीन नाम सोमवती था जो बदलकर सोम वस्तीपुर फिर समवस्तीपुर और समस्तीपुर हो गया। यहाँ शिक्षा का माध्यम हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी है लेकिन यहां बोल-चाल के लिए मैथिली, मगही बोली जाती है. ये उपजाऊ कृषि जिला है। समस्तीपुर पूर्व मध्य रेलवे का मंडल भी है. समस्तीपुर को मिथिला का ‘प्रवेशद्वार’ भी कहा जाता है.
यह जिला बिहार के उन गिने-चुने जिलों में से एक है, जिसका गठन आजादी के बाद हुआ और उसकी अपनी विशिष्ट पहचान बनी. अगर आप बिहार राज्य से संबंधित किसी भी सामान्य ज्ञान या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि समस्तीपुर जिला कब और कैसे अस्तित्व में आया. क्योंकि राज्य स्तरीय कई प्रतियोगिता परीक्षा में समस्तीपुर जिला से संबंधित प्रदर्शन पूछा गया है, जैसे बिहार पुलिस में भी पूछा गया था इसके बाद बिहार एसएससी में भी पूछा गया था.
समस्तीपुर जिले का गठन 14 नवंबर 1972 को हुआ था. इससे पहले यह क्षेत्र दरभंगा जिले का हिस्सा हुआ करता था. बिहार सरकार ने प्रशासनिक सुविधा और क्षेत्रीय विकास को ध्यान में रखते हुए इसे दरभंगा से अलग कर नया जिला बनाया था. इसका मुख्यालय समस्तीपुर नगर को बनाया गया जो आज एक नगर निगम के रूप में कार्यरत है.
समस्तीपुर में धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल
समस्तीपुर जिला धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक विरासत से भी धनवान है. विद्यापति नगर प्रखंड में स्थित विद्यापति धाम को राजकीय महोत्सव का दर्जा प्राप्त है, जहां प्रत्येक वर्ष सांस्कृतिक आयोजन होते हैं. थानेश्वर मंदिर समस्तीपुर शहर के पास एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं. पटोरी प्रखंड के शिउरा गांव में बाबा अमर सिंह स्थान, और दरबा गांव में बाबा केवल स्थान आस्था के प्रमुख केंद्र हैं. इतिहास की बात करें तो पटोरी प्रखंड में अंग्रेजों के जमाने की 52 कोठी आज भी देखने को मिलती है. वहीं विभूतिपुर प्रखंड में नाहन स्टेट के राजा की हवेली भी मौजूद है, जो इस जिले के गौरवशाली अतीत की गवाही देती है.
भौगोलिक स्थिति और सीमाएं
समस्तीपुर जिला उत्तर बिहार के मध्यवर्ती भाग में स्थित है. इसके उत्तर में दरभंगा, दक्षिण में गंगा नदी और पटना जिला, पश्चिम में मुजफ्फरपुर और वैशाली और पूर्व में बेगूसराय और खगड़िया जिले की सीमाएं लगती हैं. यह भौगोलिक स्थिति इसे कृषि, व्यापार और प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक अहम जिला बनाती है. यहां की मुख्य भाषा हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी है, जो शैक्षणिक और सरकारी कामकाज में प्रयुक्त होती हैं. लेकिन आम बोलचाल में लोग मैथिली, मगही और बज्जिका भाषाएं बोलते हैं, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है. समस्तीपुर जिले के मध्य से बूढ़ी गण्डक, उत्तर में बागमती नदी एवं दक्षिणी तट पर गंगा बहती है. इसके अलावा यहाँ से बांया भाग में, जमुआरी, नून, बागमती की दूसरी शाखा और शान्ति नदी भी बहती है जो बरसात के दिनों में उग्र रूप धारण कर लेती है.
क्या है जिले के जनसांख्यिकी आकड़ा और मानव विकास सूचिकांक?
2011 की जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्या 4,261,566 है जिसमें पुरुष की आबादी 2,230,003 एवं 2,031,563 स्त्रियाँ है। 18.52% जनसंख्या अनुसूचित जाति की तथा 0.1% जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है। मानव विकास सूचिकांक काफी नीचे है जिसकी पुष्टि इन आँकड़ो से होती है:-
साक्षरता: 45.13% (पुरुष- 57.59%, स्त्री- 31.67%)
जनसंख्या वृद्धि दरः 2.52% (वार्षिक)
स्त्री-पुरुष अनुपातः 928 प्रति 1000
घनत्वः 1169 प्रति वर्ग किलोमीटर
समस्तीपुर जिला की स्थापना एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिससे न केवल स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ हुई बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी गति मिली.समस्तीपुर का धार्मिक, ऐतिहासिक और प्रशासनिक महत्व प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है.
प्रशासनिक संरचना…अनुमंडल, प्रखंड और पंचायतें
समस्तीपुर जिले में कुल चार अनुमंडल है समस्तीपुर, रोसड़ा, दलसिंहसराय और पटोरी. इन अनुमंडलों के अंतर्गत कुल 20 प्रखंड आते हैं, जिनमें प्रमुख हैं: पटोरी, मोहनपुर, विद्यापति नगर, मोहिद्दीन नगर, उजियारपुर, दलसिंहसराय, विभूतिपुर, सिंघिया, शिवाजीनगर, बिथन, हसनपुर, रोसड़ा, कल्याणपुर, पूसा, बारिश नगर, सरायरंजन, खानपुर, ताजपुर, मोरवा और समस्तीपुर. वहीं, शहरी निकायों की बात करें तो समस्तीपुर नगर निगम के अलावा रोसड़ा, ताजपुर, शाहपुर पटोरी और दलसिंहसराय में नगर परिषद कार्यरत हैं. इसके अलावा मुसरीघरारी, सरायरंजन और सिंघिया तीन नगर पंचायतें भी हैं. जिले में 243 ग्राम पंचायतें और कुल 1260 राजस्व गांव हैं.
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