पत्रकारिता विषय में महत्वपूर्ण और अमुक योगदान देने के लिए पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए रामनाथ गोयनका पुरस्कार 2025

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय पत्रकारिता में उत्कृष्ट योगदान के लिए रामनाथ गोयनका पत्रकारिता उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए । यह पुरस्कार उन पत्रकारों को दिया जाता है जो सत्य, निष्ठा और निडर रिपोर्टिंग के मूल्यों को बनाए रखते हैं। अपने भाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने लोकतंत्र को बनाए रखने में पत्रकारिता के महत्व पर प्रकाश डाला और विशेष रूप से आपातकाल के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा में रामनाथ गोयनका की विरासत को स्वीकार किया। उन्होंने एआई और गलत सूचना से उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने में जमीनी रिपोर्टिंग, शोध-आधारित पत्रकारिता और मानवीय मूल्यों की भूमिका की आवश्यकता पर जोर दिया।

राष्ट्रपति मुर्मू के भाषण के मुख्य अंश

रामनाथ गोयनका को श्रद्धांजलि

प्रेस की स्वतंत्रता में उनके योगदान को स्वीकार किया गया। उन्होंने आपातकाल के दौरान सेंसरशिप के खिलाफ अपने रुख को याद किया। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ अपने जुड़ाव और सामाजिक कार्यों में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।

* ग्राउंड रिपोर्टिंग और शोध का महत्व

समाचार कक्षों से खोजी पत्रकारिता में निवेश करने का आग्रह किया।

न्यूजरूम अनुसंधान विंग के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के दृष्टिकोण का उल्लेख किया।

इस बात पर बल दिया कि समाचार संकलन पत्रकारिता की आत्मा है।

* मीडिया वित्तपोषण में चुनौतियाँ

लाभप्रदता और जिम्मेदार पत्रकारिता के बीच संघर्ष को संबोधित किया।

पत्रकारिता के केन्द्र में पाठकों को रखने का सुझाव दिया।

* आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक का प्रभाव

एआई-जनित गलत सूचना के बारे में चेतावनी दी गई।

पत्रकारिता की मूल ताकत के रूप में मानवीय सहानुभूति पर बल दिया।

पक्षपातपूर्ण समाचारों का पता लगाने के लिए युवाओं में आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित किया गया।

* क्षेत्रीय भाषा पत्रकारिता को मान्यता

जमीनी हकीकत को दर्शाने के लिए क्षेत्रीय भाषा में रिपोर्टिंग की सराहना की गई।

* अंतिम विचार

मानवीय मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता कभी विलुप्त नहीं होगी।

रामनाथ गोयनका पुरस्कार प्रभावशाली पत्रकारिता को पुरस्कृत करके लोकतंत्र को मजबूत करते हैं।

* पुरस्कार विजेताओं की सारांश तालिका

–हिंदी (प्रिंट/डिजिटल) मृदुलिका झा (आज तक) – डंकी रूट प्रवासन संकट पर रिपोर्ट।

—क्षेत्रीय भाषाएँ (प्रिंट/डिजिटल) जिशा एलिजाबेथ (मध्यमम) – म्यांमार में भारतीय युवाओं की मानव तस्करी का पर्दाफाश।

—पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सिबू कुमार त्रिपाठी (इंडिया टुडे) – जोशीमठ डूब संकट को कवर किया।

—-अदृश्य भारत को उजागर करना सत्यसुंदर बारिक (द हिंदू) – ओडिशा में पलायन और लापता बेटियों पर रिपोर्ट।

—-व्यवसाय एवं आर्थिक पत्रकारिता त्वेश मिश्रा (इकोनॉमिक टाइम्स) – भारत के ईवी विनिर्माण क्षेत्र में सब्सिडी धोखाधड़ी की जांच की।

—-राजनीति और सरकार मैत्री पोरेचा (द हिंदू ) – बालासोर ट्रेन त्रासदी और उसके परिणाम को कवर किया गया।

—-खेल पत्रकारिता शहाब अली और अमरनाथ कश्यप (हिंदुस्तान) – स्वर्ण पदक विजेता आशा किरण बारला के गांव की खराब स्थिति को उजागर किया।

—खोजी रिपोर्टिंग निहाल एपी कोशी, महेंद्र सिंह मनराल और मिहिर वासवदा (इंडियन एक्सप्रेस) – भारतीय कुश्ती महासंघ में यौन उत्पीड़न का पर्दाफाश।

—-फीचर लेखन शुभाजीत रॉय (इंडियन एक्सप्रेस ) – इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष क्षेत्रों से ग्राउंड रिपोर्ट।

—-विदेशी संवाददाता (भारत) नीलेश क्रिस्टोफर (शेष विश्व) – भारत में एआई और विनिर्माण बदलाव के प्रभाव को कवर किया।

—नागरिक पत्रकारिता जीत मशरू और सोमिता पाल (हिंदुस्तान टाइम्स) – बीएमसी अस्पताल की कमियों की जांच की, जिसके परिणामस्वरूप नीति में बदलाव हुआ।

—फोटो पत्रकारिता पी. रविकुमार (न्यू इंडियन एक्सप्रेस ) – चेन्नई में तेल रिसाव से हुई तबाही की तस्वीरें।

—-पुस्तकें (गैर-काल्पनिक) ए.आर. वेंकटचलपति (पेंगुइन) – वी.ओ. चिदंबरम पिल्लई की ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई के बारे में लिखा।

—- हिंदी (प्रसारण/डिजिटल) सिद्धांत मोहन (लल्लनटॉप) – फिल्मी आख्यानों का खंडन करते हुए केरल की वास्तविक कहानी की जांच की।

—- क्षेत्रीय भाषाएँ (प्रसारण) मंदार गोंजारी (एबीपी माझा) – पुणे के अस्पताल से सिंथेटिक ड्रग रैकेट चलाने वाले एक विचाराधीन कैदी का पर्दाफाश किया।

—– पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी (प्रसारण/डिजिटल) जोएल माइकल और रोहिणी कृष्णमूर्ति (डाउन टू अर्थ) – लुधियाना में औद्योगिक गैस रिसाव से हुई मौतों को कवर किया।

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