
दिल्ली रविवार को विभिन्न दक्षिणपंथी संगठनों ने महापंचायत की और वक्फ (संशोधन) विधेयक को समर्थन देते हुए वक्फ बोर्ड को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली रविवार को विभिन्न दक्षिणपंथी संगठनों ने महापंचायत की और वक्फ (संशोधन) विधेयक को समर्थन देते हुए वक्फ बोर्ड को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की। जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के आह्वान पर जंतर-मंतर पर आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय हिंदू मोर्चा समेत विभिन्न दक्षिणपंथी समूहों ने किया था। जारी बयान के अनुसार, विभिन्न दक्षिणपंथी समूहों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ज्ञापन भेजकर वक्फ बोर्ड के तहत आने वाली संपत्तियों के राष्ट्रीयकरण की मांग की। बयान में कहा गया कि महापंचायत में देशभर से आए विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने एक सुर में वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग की। इस संबंध में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और भारत के राष्ट्रपति को भी ज्ञापन सौंपा गया। महापंचायत को संबोधित करते हुए जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि विभाजन के बाद पाकिस्तान गए मुसलमानों की संपत्तियां तत्कालीन भारत सरकार ने 1954 में यहां के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दे दी थीं। बाद में 1955, 1995 और 2013 में (वक्फ) कानून में संशोधन के कारण वक्फ बोर्ड को संपत्तियों पर दावा करने के असीमित अधिकार मिल गए। इसका परिणाम यह हुआ कि देश भर में वक्फ बोर्ड द्वारा अन्य धर्मों के अनुयायियों की जमीनों पर अवैध कब्जे की बाढ़ आ गई है। महापंचायत ने वक्फ अधिनियम को भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा कि यह संविधान के तहत गारंटीकृत समानता के अधिकार का घोर उल्लंघन करता है।
महापंचायत ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वक्फ बोर्ड को समाप्त कर दिया जाना चाहिए और इसकी सभी संपत्तियों को भारत सरकार की ओर से अधिग्रहित कर लिया जाना चाहिए। चौधरी ने कहा कि जहां तक मुसलमानों की तथाकथित ऐतिहासिक संपत्तियों के प्रबंधन का सवाल है तो किसी भी समुदाय की ऐसी संपत्तियों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जैसी संस्था उपलब्ध है। शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसी सामाजिक सेवा गतिविधियों के लिए भारत में पहले से ही भारतीय समाज अधिनियम और भारतीय ट्रस्ट अधिनियम लागू हैं। इसके माध्यम से भी संपत्तियां दान की जा सकती हैं।
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