युपीए की बरात में फुफा संग सभी रिश्तेदार नाराज,अब पीएम कैसे बनेेंगे युवराज

*राजनितिक व्यंग्य*

 

 

 

यह क्या हो गया देखते देखते …….

बिछड़े सभी बारी बारी …….

 

देश कू सबसे बडी और पुरानी पार्टी का ये हाल हो गया है की अब राज्यों के छोटे छोटे दल भी भाव नही दे रहे हैं। सब ने कांग्रेस को नकार दिया,मतलब क्षेत्रीय दलों की राजनीति और वर्चस्व का दौर एक बार फिर शुरू?अरे भाई विपक्षी दल तो पहले भी अलग अलग थे, केवल अपने राज्यों में प्रभावशाली थे।प्रभावशाली इसलिए थे चूंकि बीजेपी के उदय से पहले अपने अपने राज्यों में वे कांग्रेस से ही लड़ रहे थे।

 

इन राज्यों के राजनीति का देशव्यापी आधार नहीं था तो नामधारी कांग्रेस से जोड़ने की नीति दो साल पहले दो क्षेत्रीय नेताओं ने ही बनाई थी।ये थे नीतीश और ममता।

ममता सबसे पहले बाजार में निकली, लेकिन जल्द ही समझ गई कि कांग्रेस की फितरत के चलते दाल देर तक नहीं गलेगी।वे बंगाल पर केंद्रित हो गईं। तभी नीतीश निकले,सबको जोड़ा, लेकिन उनके बनाए गठबंधन को कांग्रेस ले उड़ी।

 

राजनितिक नब्ज की बारिकी समझने वाले बिहार के मशहुर फिजिशियन डॉ.नीतीश कुमार ने समझदारी से कदम बढ़ाया और कोविड की तरह देश के सभी राज्यों में फैलने का मंसुबा पाले युपीए गठबंधन को बिना मास्क पहने एनडीए का एंटीडोज लगवाकर मोदी की टीम में शामिल होकर भाजपा की जरूरत बन गए।उस समय यदि नीतीश को इंडी गठबंधन का संयोजक बना दिया गया होता तो आज इंडी का भंडा बीच चौराहे पर न फूटता। देखिए न एक एक कर सभी बिछड़ते गए,

कांग्रेस पर नजला बहाकर उसे टाटा बाय बाय कहते गए।पहल बंगाल में लोकसभा चुनाव से पहले ही ममता ने की और कश्मीर में उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव के बाद की।

 

लोकसभा चुनावों में चुनौतियों से निपट युपी में अच्छी खासी सिटों पर अपना दबदबा बना जित हासिल करने वाले अखिलेश यादव ने यूपी में तमाचा जड़ा।उससे पहले घोर ईमानदारी की मिसाल केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा में ठेंगा दिखाया और अब दिल्ली चुनाव में तो धोबी पाट मारकर कांग्रेस को चौपट कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

 

यह सब देखकर बिहार के युवराज तेजस्वी यादव को लगा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में क्यों न सारी सीटें अकेली लड़ें।तो उन्होंने भी इंडी अलायंस को डैडबॉडी करार दे दिया।

 

मजेदार बात यह कि अब महाराष्ट्र के उद्धव सहित इन तमाम क्षेत्रीय क्षत्रपों ने दिल्ली में कांग्रेस के खिलाफ केजरीवाल को समर्थन दे दिया है।

 

तो देख लीजिए,आप स्वयं देख लीजिए।कांग्रेस उबल रही है और बीजेपी मन ही मन मचल रही है।

 

जाहिर है राज्यों के क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस से मोह भंग हो गया है।इसका मतलब यह भी है कि उत्तर मध्य और पूर्वी भारत का यह चक्र अब दक्षिण में भी चलेगा।

 

दूसरा अर्थ यह कि पीएम बनने का जो सपना साठ वर्षिय राष्ट्रीय कुंवारे राहुल गांधी जी ने देखा था वह बहुत दूर कहीं खो गया है।

यह जरूर है कि इस गठबन्धन का लाभ उठाकर कांग्रेस 99 के फेर तक पहुंच गई।

अब फिलहाल इंडी गठबंधन के बिखराव का लाभ किसे मिलेगा,यह किसी से छिपा नहीं है।मतलब राज्यों में क्षेत्रीय दलों को और केन्द्र में भाजपा को।

हाय रे दुनियादारी…..

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(लेखक मास कॉम मीडिया के छात्र हैं।)

 

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Siddhant Kumar

Business Consultant

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जी पी सोनी

G P Soni is the co-founder and editor of Janvichar.in, a leading news and media platform. With over 10 years of experience in the media industry, G P Soni brings a wealth of knowledge and expertise to the team. His commitment to delivering high-quality, unbiased news has been instrumental in establishing Janvichar.in as a trusted source of information. He is the Student of P.H.D Mass Communication Media Student. He has worked many Brand news papers, and many more news Channels. He is a Socialist & news Blogger . He like searching investigative news . He is also Co-Founder of Saptsindhu Navchetan foundation.

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