हान कांग को मिला 2024 का साहित्य नोबेल पुरस्कार ;

हान कांग को 2024 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई है। स्वीडिश अकादेमी ने जब उनके नाम की घोषणा की तो सोशल मीडिया और इंटरनेट पर उनके बारे में जानने की होड़ मच गई।

हान कांग का जन्म 1970 में दक्षिण कोरियाई शहर ग्वांगजू में हुआ था. वह नौ साल की थीं, जब उन्हें अपने परिवार के साथ सियोल जाना पड़ा. उनकी पृष्ठभूमि साहित्यिक है. उनके पिता एक प्रतिष्ठित उपन्यासकार हैं. लेखन के साथ-साथ हान ने खुद को कला और संगीत के लिए भी समर्पित कर दिया. उनकी यह विशेषता उनके संपूर्ण साहित्यिक लेखन में परिलक्षित होती है।

अपनी कृतियों में हान कांग ऐतिहासिक आघातों और नियमों के अदेखे पक्षों को बारीकी से जांचती हैं और अपनी हर कृति में मानव जीवन की नाजुकता को काव्यात्मक भाव के साथ उजागर करती हैं। उनका गद्य एक भावनात्मक कोमलता के साथ समय और समाज के क्रूरता की कहानी कहता है।

हान के लेखन में शरीर और आत्मा, जीवित और मृत के बीच संबंधों के बारे में एक अनोखी जागरूकता है. वे अपनी काव्यात्मक और प्रयोगात्मक शैली से समकालीन गद्य की एक प्रर्वतक लेखिका के रूप में पश्चिम जगत तक अनुवाद के माध्यम से पहुंचीं और स्थापित हो गईं।

हान कांग का साहित्यिक करियर 1993 में ‘साहित्य और समाज’ पत्रिका में कुछ कविताओं के प्रकाशन से शुरू हुआ। हान के गद्य लेखन की शुरुआत 1995 में लघु कहानी संग्रह ‘लव ऑफ येओसु’ से हुई। इसके तुरंत बाद उपन्यास और कहानियां, दोनों ही विधाओं में उनकी गद्य कृतियां आती गईं। यह क्रम अब भी जारी है।

2002 में उनका एक उपन्यास ‘योर कोल्ड हैंड्स’ प्रकाशित हुआ. इसी के साथ वे कोरियाई समाज में छा गईं। यह उपन्यास और उसकी विषयवस्तु, शिल्प हान को लेखन जगत में स्थापित करने में सफल रहा। यह उपन्यास एक लापता मूर्तिकार द्वारा महिलाओं की मूर्तियों की पुनर्प्रस्तुति के बहाने एक कलाकार के आंतरिक द्वंद्व की कहानी कहता है. यह मूर्तिकार प्लास्टर ऑफ पेरिस से महिलाओं के शरीर को गढ़ने का, मूर्ति बनाने का जुनूनी है। जब वह मानव शरीर की खूबसूरती को उकेर रहा होता है, तब उसके रचनात्मक अनुभव और व्यक्तित्व के साथ उसकी इच्छाएं आंखमिचौली खेलने लगती हैं. उसके मन और शरीर की दमित इच्छाओं और काम के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का यह संघर्ष- क्या बताएं, क्या छुपाएं – ही इस उपन्यास की आधारभूमि है। एक मनुष्य के वाह्य फलक और आंतरिक द्वंद्व से उपजे संघर्ष की कहानी वाले उपन्यास का अंत इस एक वाक्य से होता है, ‘जीवन रसातल पर फैली हुई एक चादर है, और हम इसके ऊपर नकाबपोश कलाबाजों की तरह रहते हैं।’ हान कांग को अंतर्राष्ट्रीय सफलता 2007 में प्रकाशित उनके उपन्यास ‘द वेजिटेरियन’ से मिली. वह भी तब जब इस उपन्यास का 2015 में डेबोरा स्मिथ द्वारा अंग्रेजी में किया अनुवाद प्रकाशित हुआ. 2016 में इसे अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला. यह उपन्यास एक ऐसी महिला के बारे में है, जो मानती है कि वह एक पौधे में बदल रही है.

‘द वेजिटेरियन’ तीन खंडों में बंटा उपन्यास है. इसकी नायिका ‘येओंग-हे’ है, जो भोजन सेवन के मानदंडों का पालन करने से इनकार कर देती है. इसके पश्चात उसका जीवन हिंसक परिणामों की भेंट चढ़ जाता है. हान शब्द-चित्र खींचती हैं और बताती हैं कि ‘येओंग-हे’ को मांस न खाने के अपने फैसले के चलते विभिन्न तरह की, और पूरी तरह से अलग-अलग प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ता है. उसके इस व्यवहार को उसके पति और उसके सत्तावादी पिता दोनों ने जबरन अस्वीकार कर दिया. इससे आहत जब वह तंद्रा में बेकल होती है, तब उसका जीजा, जो एक वीडियो कलाकार है, उसके निष्क्रिय शरीर के प्रति आसक्त हो जाता है. वह उसे लुभाता है और बेहद कामुकता से उसके साथ संपर्क बना लेता है. वह उसके सौंदर्य का शोषण करता है. अंततः ‘येओंग-हे’ एक मनोरोग चिकित्सक की क्लिनिक में इलाज के लिए बाध्य हो जाती है. यहां उसकी बहन ‘येओंग-हे’ को बचाने और उसे ‘सामान्य’ जीवन में वापस लाने का प्रयास करती है. इस उपन्यास में नायिका येओंग-हे ‘ज्वलंत पेड़ों’ के माध्यम से व्यक्त मनोविकृति जैसी स्थिति में और भी गहराई तक डूबती जाती है, जो पौधों के साम्राज्य का प्रतीक है. यह रूपक जितना आधुनातन है, आकर्षक है, उतना ही खतरनाक भी है.

हान कांग का एक और उपन्यास ‘द विंड ब्लोज़, गो’ 2010 में प्रकाशित हुआ. यह उपन्यास दोस्ती और कलात्मकता के बारे में एक वृहद और जटिल उपन्यास है. इस उपन्यास में दुःख और परिवर्तन की लालसा दृढ़ता से मौजूद है। 2011 में प्रकाशित ‘ग्रीक पाठ, 2023’ की कथा भूमि में हान कांग की सहानुभूति उनकी रूपक शैली का चरम उद्घोष सी करती है. यह दो कमजोर व्यक्तियों के बीच एक असाधारण रिश्ते का मनोरम चित्रण करने वाली कहानी है, जिसमें चरम शारीरिक संबंध, आकर्षण और आकांक्षाएं अपनी भूमिका निभाते हैं. कई दर्दनाक अनुभवों से गुजरने के चलते अपनी बोलने की शक्ति खो चुकी है एक युवा महिला, प्राचीन ग्रीक में अपने उस एक शिक्षक से जुड़ती है, जो खुद अपनी दृष्टि खो रहा होता है. इनकी शारीरिक खामियां और जरूरतें, इन्हें नजदीक लाती हैं और इनके बीच एक भंगुर प्रेम संबंध विकसित होता है. यह पुस्तक हानि-लाभ, अंतरंगता और भाव-भाषा की अंतिम स्थितियों पर पहुंचने वाले मनों का एक सुंदर चिंतन है।

2014 में प्रकाशित उपन्यास ‘ह्यूमन एक्ट्स’ में हान कांग ने अपने देश की राजनीतिक नींव के रूप में घटी एक ऐतिहासिक घटना को नियोजित किया है. यह घटना ग्वांगजू शहर में हुई थी. यह वह शहर है, जहां हान खुद पैदा हुई, पली-बढ़ी और अब तक जुड़ी रही हैं. 1980 में दक्षिण कोरियाई सेना द्वारा सैकड़ों छात्रों और निहत्थे नागरिकों की एक नरसंहार के दौरान हत्या कर दी गई। इतिहास के पीड़ितों को आवाज देने की कोशिश में यह उपन्यास उस प्रकरण की क्रूर वास्तविकता को उजागर करता है। हान कांग की शैली, दूरदर्शी होने के साथ-साथ संक्षिप्त और घनी है. वे लिखती हैं कि अपनी अपेक्षाओं के साथ इस उपन्यास के माध्यम से मृतकों की भटकती आत्माओं को उनके शरीर से अलग करने की अनुमति देना, उन्हें मुक्त कर देने का एक विशेष उपाय है. ये ऐसी अज्ञात लाशे हैं, जिन्हें दफनाया नहीं जा सकता।

2016 में प्रकाशित ‘द व्हाइट बुक’ से हान कांग की काव्यात्मक-गद्य शैली एक बार फिर प्रकट हुई. यह उस व्यक्ति को समर्पित एक शोकगीत है, जो कथाकार की बड़ी बहन हो सकती थी, लेकिन जन्म के कुछ घंटों बाद ही उसका निधन हो गया. संक्षिप्त नोट्स, अनुक्रम, सफेद वस्तुओं से संबंधित, दुःख और दुख के इस रंग के माध्यम से वे एक ऐसी कृति रचती हैं, जो उपन्यास कम और एक प्रकार की ‘धर्मनिरपेक्ष प्रार्थना पुस्तक’ अधिक लगती है‌।

कथाकार का तर्क है कि यदि उसकी काल्पनिक बहन को जीवित रहने की अनुमति दी गई होती, तो उसे खुद को अस्तित्व में आने की अनुमति शायद नहीं दी जाती. मृतकों को संबोधित करते हुए ही यह पुस्तक अपने इन अंतिम शब्दों तक पहुंचती है: ‘उस सफेद, उन सभी सफेद चीजों के भीतर, मैं आपके द्वारा छोड़ी गई अंतिम सांस में सांस लूंगी.’

हान कांग का एक और मुख्य काम 2021 प्रकाशित उनकी नवीनतम कृति ‘वी डोंट नॉट पार्ट’ है. यह पुस्तक दर्द की संवेदना को उजागर करने के चलते ‘द व्हाइट बुक’ से निकटता से जुड़ती है. इस उपन्यास की कहानी 1940 के दशक के अंत में दक्षिण कोरिया के जेजू द्वीप पर हुए एक नरसंहार की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहां सरकार विरोधियों से सहयोग करने के संदेह में बच्चों और बुजुर्गों सहित हजारों लोगों को गोली मार दी गई थी।

यह पुस्तक कथाकार और उसकी मित्र इंसियन द्वारा व्यक्त की गई साझा शोक प्रक्रिया को चित्रित करता है। हान कांग न केवल अतीत की शक्ति के वर्तमान पर प्रभाव को उजागर करती हैं, बल्कि समान रूप से, सशक्त ढंग से कुछ सामूहिक विस्मृतियों को प्रकाश में लाने और बदलने के लिए दोस्तों के अथक प्रयासों का भी पता लगाती हैं। यह पुस्तक विरासत में मिले दर्द और दोस्ती के उस सबसे गहरे रूप के बारे में है, सपने में दिखने वाली भयानक छवियां और सच बोलने को आतुर गवाह- अपने साहित्यिक झुकाव के साथ बड़ी मौलिकता से दर्ज होते हैं। हान कांग के लेखन की विशेषता दर्द का दोहरा प्रदर्शन है, जिसका उनकी पूर्वी सोच के साथ घनिष्ठ संबंध है। यह मानसिक और शारीरिक पीड़ा के बीच एक पत्राचार सरीखा दिखता है। 2013 की कृति ‘कन्वलेसेंस’ स्वास्थ्य लाभ की आशा में जी रहे उस पात्र की कहानी है, जिसके एक पैर का अल्सर ठीक नहीं होता और वह अपनी मृत बहन के साथ संवाद का एक दर्दनाक रिश्ता जोड़ता है। वास्तव में इससे उसे कोई सच्चा स्वास्थ्य लाभ कभी नहीं होता है, और दर्द एक मौलिक अस्तित्वगत अनुभव के रूप में उभरता है, जिसे किसी भी गुजरने वाली पीड़ा से कभी भी कम नहीं किया जा सकता है‌।

‘द वेजीटेरियन’ जैसे उपन्यास में भी इसका कोई सरल स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. यहां, पथभ्रष्ट कृत्य अचानक और विस्फोटक रूप से एक कोरे इनकार के रूप में घटित होता है, जिसमें नायक चुप रहता है. 2019 में प्रकाशित कहानी संग्रह ‘यूरोपा’ के बारे में भी यही कहा जा सकता है, जिसमें पुरुष कथावाचक, जो स्वयं एक महिला के रूप में प्रच्छन्न है, एक रहस्यमय महिला की ओर आकर्षित होता है, जो एक असंभव विवाह से अलग हो गई है. वह अपने प्रिय द्वारा पूछे जाने पर इस वाक्य के साथ चुप हो जाती है: ‘यदि आप अपनी इच्छानुसार जीने में सक्षम होते, तो आप अपने जीवन के साथ क्या करते? यहां पूर्णता या प्रायश्चित के लिए कोई जगह नहीं है।

सच तो यही है कि दक्षिण कोरिया की 53 वर्षीय लेखिका हान कांग अब पूरी दुनिया में चर्चित हो चुकी हैं. अपेक्षाकृत बेहद विकसित और सभ्य समझे जाने वाले दक्षिण कोरियाई समाज और राष्ट्र का उनका चित्रण उन्हें मानवीय संवेदनाओं और दर्द से अधिक जोड़ता है. उनका सघन काव्यात्मक गद्य सीधे मन में उतरता है. अनुवाद की जटिलताओं के बीच भी उनका लेखन ऐतिहासिक आघातों का सामना करने वाले मानव जीवन की नाजुकता को उजागर करता है।

याद रहे कि नोबेल पुरस्कारों का चयन 18 सदस्यीय स्वीडिश अकादमी करती है. अकादमी और उसके समकक्ष संस्थानों के सदस्यों, पूर्व पुरस्कार विजेता, साहित्य समितियों के अध्यक्ष, साहित्य और भाषा विज्ञान के प्रोफेसर हर शीतऋतु में नामांकन स्वीकारते हैं। वसंत ऋतु तक एक छोटी समिति इन्हें पांच उम्मीदवारों तक सीमित कर नाम अकादमी को भेज देती है, जो गर्मियों के आगमन से पहले शरद ऋतु में पुरस्कार प्रदान करते हैं। अकादमी के सभी अंतिम नामांकन अगले 50 वर्षों तक गोपनीय रखे जाते हैं। इसलिए यह पता चलना असंभव है कि हान कांग के साथ साहित्य के इस सबसे सम्मानित पुरस्कार की दौड़ में अन्य चार कौन थे। फिलहाल तो हान कांग को साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए हार्दिक बधाई! वे ऐसे ही लिखती रहें।

 

:- यह खबर जय प्रकाश पांडेय जी aajtk के वाल से ली गई है।

Loading


Discover more from जन विचार

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! रिटायरमेंट की उम्र बढ़ी, सरकार ने जारी किया नया नियम Retirement Age New Rule

1 Retirement Age New Rule: हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लेते हुए शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र को एक वर्ष बढ़ा दिया है। इस फैसले…

Loading

Read more

Continue reading
बिहार के 27% सांसद-विधायक राजनीतिक परिवारों से, जानें सबसे ज्यादा किस पार्टी में है वंशवाद?

1 बिहार की राजनीति में वंशवाद एक गंभीर समस्या बनी हुई है। राज्य के 27% सांसद और विधायक राजनीतिक परिवारों से हैं जो राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है। एडीआर…

Loading

Read more

Continue reading

Leave a Reply

You Missed

बिहार चुनाव में अब शंकराचार्य की एंट्री,लड़ाएंगे सभी सीटों पर निर्दल गौ भक्त प्रत्याशी

बिहार चुनाव में अब शंकराचार्य की एंट्री,लड़ाएंगे सभी सीटों पर निर्दल गौ भक्त प्रत्याशी

कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! रिटायरमेंट की उम्र बढ़ी, सरकार ने जारी किया नया नियम Retirement Age New Rule

कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! रिटायरमेंट की उम्र बढ़ी, सरकार ने जारी किया नया नियम Retirement Age New Rule

बिहार के 27% सांसद-विधायक राजनीतिक परिवारों से, जानें सबसे ज्यादा किस पार्टी में है वंशवाद?

बिहार के 27% सांसद-विधायक राजनीतिक परिवारों से, जानें सबसे ज्यादा किस पार्टी में है वंशवाद?

INDIA के कितने दलों के सांसदों ने की क्रॉस वोटिंग? इन नामों की चर्चाएं, विपक्ष खोज रहा जवाब

INDIA के कितने दलों के सांसदों ने की क्रॉस वोटिंग? इन नामों की चर्चाएं, विपक्ष खोज रहा जवाब

Discover more from जन विचार

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading