
नवरात्रि के सातवें दिन का विशेष महत्व है और इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि, माँ दुर्गा का एक उग्र रूप हैं, जिन्हें बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने वाली देवी माना जाता है।
माँ कालरात्रि
माँ कालरात्रि का नाम “काल” (मृत्यु) और “रात्रि” (रात) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “मृत्यु की रात”। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ कालरात्रि ने अनेक राक्षसों का वध किया और देवताओं को उनके आतंक से मुक्त किया। उनका स्वरूप अत्यंत उग्र है, लेकिन वे अपने भक्तों को अभय और वरदान देती हैं। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे खड्ग, वज्र, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण करती हैं। उनका वाहन गधा है और उनका रंग काला है, जो उनके उग्र रूप को दर्शाता है।
पूजा विधि
माँ कालरात्रि की पूजा विधि में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
- स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
- मूर्ति स्थापना: माँ कालरात्रि की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
- पुष्प अर्पण: माँ कालरात्रि को ताजे फूल अर्पित करें। विशेष रूप से गुड़हल के फूल अर्पित करें।
- मंत्र जाप: माँ कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें। उनका प्रमुख मंत्र है:
“ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”
इसके अलावा, आप निम्नलिखित मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं:
“या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
- प्रसाद: माँ को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाएं। यह माता को बहुत प्रिय है।
- आरती: माँ कालरात्रि की आरती करें और भजन गाएं।
माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व
माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है और वे अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का सामना कर रहे हैं। माँ कालरात्रि की कृपा से वे इन बाधाओं को पार कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की बाधाओं का सामना कर रहे हैं। माँ कालरात्रि की कृपा से वे इन बाधाओं को पार कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अलावा, नवरात्रि के सातवें दिन का एक और महत्वपूर्ण पहलू है कि यह दिन शक्ति और साहस का प्रतीक है। माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में साहस और आत्मविश्वास मिलता है। यह दिन उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। माँ कालरात्रि की कृपा से वे इन चुनौतियों को पार कर सकते हैं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति और संतुलन मिलता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में मानसिक तनाव और चिंता का सामना कर रहे हैं। माँ कालरात्रि की कृपा से वे मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में संतुलन बना सकते हैं।
इस प्रकार, नवरात्रि के सातवें दिन का विशेष महत्व है और इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यह दिन शक्ति, साहस, और मानसिक शांति का प्रतीक है और माँ कालरात्रि की कृपा से भक्त अपने जीवन में सफलता और संतुलन प्राप्त कर सकते हैं।
माँ कालरात्रि की कथा
माँ कालरात्रि की कथा अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षस रक्तबीज ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया, तब सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उनसे सहायता की प्रार्थना की। भगवान शिव ने माँ पार्वती से सहायता करने का अनुरोध किया। माँ पार्वती ने अपने उग्र रूप में प्रकट होकर कालरात्रि का रूप धारण किया।
रक्तबीज का वध करना अत्यंत कठिन था क्योंकि उसकी हर बूंद से एक नया राक्षस उत्पन्न हो जाता था। माँ कालरात्रि ने अपनी शक्ति से रक्तबीज का वध किया। उन्होंने रक्तबीज के रक्त को अपने मुख में समाहित कर लिया ताकि उसकी एक भी बूंद धरती पर न गिरे और नए राक्षस उत्पन्न न हो सकें। इस प्रकार, माँ कालरात्रि ने रक्तबीज का अंत कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त किया।
माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत उग्र है। उनका रंग काला है, उनके बाल बिखरे हुए हैं, और उनकी तीन आँखें हैं जो बिजली की तरह चमकती हैं। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे खड्ग, वज्र, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण करती हैं। उनका वाहन गधा है और वे अपने भक्तों को अभय और वरदान देती हैं।
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