
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व:
- विघ्नहर्ता: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत में उनकी पूजा की जाती है।
- बुद्धि और ज्ञान: गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति को ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
- समृद्धि और सौभाग्य: गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश जी की पूजा करने से समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: यह त्योहार समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। लोग मिलकर गणेश जी की मूर्ति की स्थापना और विसर्जन करते हैं।
पूजा विधि:
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है और 10 दिनों तक उनकी पूजा की जाती है। पूजा के अंत में, मूर्ति का विसर्जन किसी जलाशय में किया जाता है।
महत्वपूर्ण समय:
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 6 सितंबर 2024, दोपहर 3:01 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2024, शाम 5:37 बजे
- पूजा मुहूर्त: 7 सितंबर 2024, सुबह 11:03 बजे से दोपहर 1:34 बजे तक
- गणेश विसर्जन: 17 सितंबर 2024
गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- गणेश जी की प्रतिमा (मिट्टी, स्वर्ण, रजत, पीतल, पारद)
- हल्दी, कुमकुम, अक्षत (बिना टूटे हुए चावल)
- सुपारी, सिन्दूर, गुलाल, अष्टगंध
- जनेऊ जोड़ा, वस्त्र, मौली
- लौंग, इलायची, पान, दूर्वा
- पंचमेवा, पंचामृत (गौदुग्ध, दही, शहद, गाय का घी, शकर)
- गुड़, मोदक, फल
- नर्मदा जल/गंगा जल, पुष्प, माला
- कलश, सर्वोषधि, आम के पत्ते, केले के पत्ते
- गुलाब जल, इत्र, धूप बत्ती, दीपक-बाती
- सिक्का, श्रीफल (नारियल)
पूजा विधि में सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें और फिर उपरोक्त सामग्री का उपयोग करते हुए विधिपूर्वक पूजा करें.
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