राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती पर विशेष:

हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर मनाया जाता है। हम सब जानते हैं कि महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिए बढ़-चढ़कर आंदोलन किया था। उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। वह एक अमीर दीवान घराने से ताल्लुक रखते थे | मगर इसके बावजूद अपना सब कुछ अपने देश को दान देकर उन्होंने देश के लिए और स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन को देश के नाम किया था। इस साल भी गांधी जयंती 2024 बड़े हर्षोल्लास के साथ भारत के विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तरीके के आयोजन और समारोह के द्वारा संपन्न किया जाएगा।

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1859 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था गांधी जी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे और सत्य उनके जीवन का मूल आधार था गांधी जी के द्वारा चलाए गए कई क्रांतिकारी आंदोलन के कारण हीं भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था यही वजह है कि गांधी जी को भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है गांधी जी ने अपनी पढ़ाई इंग्लैंड से की थी उन्होंने कानून के क्षेत्र में डिग्री हासिल किया था ।

2 अक्टूबर, 2024 में राष्ट्रपिता गांधीजी की 155वीं जयंती धूमधाम के साथ के साथ मनाई जा रही है। महात्मा गांधी असाधारण प्रतिभा के धनी थे उन्होंने अपने सत्य और अहिंसा के बल पर भारत को अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी से मुक्त करवाया था । गांधी जयंती केवल एक जयंती नहीं है बल्कि समाज को एक नई दिशा देने का चिंतन है | उन्होंने सत्य और अहिंसा के द्वारा अन्याय और उत्पीड़न को हराया था। महात्मा गांधी के दो मजबूत स्तंभ अहिंसा और सत्य ने पूरी दुनिया में नवजागरण लाने का काम किया था इसलिए लिए हम सभी लोग प्रतिज्ञा ली कि हम अपने जीवन में सत्य और अहिंसा को आत्मसात करेंगे और इसके माध्यम एक ऐसी दुनिया के लिए काम करें जहां न्याय, समानता और अहिंसा स्थापित हो सके। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था। महात्मा गांधी का जन्म एक वैष्णव परिवार में हुआ था जो दीवानी से ताल्लुक रखता था। उनके दादा उत्तमचंद गांधी गुजरात के महाराज के यहां दीवान के काम करते थे। जब देश में अंग्रेजों का शासन शुरू हो गया था तब उनके पिता श्री करमचंद गांधी को पोरबंदर से राजकोट दीवान के रूप में ट्रांसफर किया गया था और एक कोर्ट में दीवान का काम दिया गया था। वही उनके पिता ने वकील और जज को देखा और पाया कि समाज में वकील की इज्जत काफी ज्यादा है इस वजह से अपने बेटे को वकील बनने का सलाह दिया। महात्मा गांधी बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे इसके साथ ही उनमें नेतृत्व की काफी बेहतरीन क्षमता थी।

 

इस वजह से गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को पूरा करने के बाद बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन जाने का फैसला किया। आज के जमाने में बैरिस्टर की पढ़ाई को वकालत की पढ़ाई भी कहते है। लंदन जाने से पहले मई 1983 में महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी का विवाह कर दिया गया। उस वक्त महात्मा गांधी 13 वर्ष के थे | और कस्तूरबा गांधी महज 14 वर्ष की थी। शादी के कुछ सालों बाद महात्मा गांधी अपनी पत्नी से अलविदा लेते हुए पढ़ाई के लिए लंदन चले गए। जब गांधी जी बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद भारत लौटे तुम मुंबई में उन्होंने वकील की प्रैक्टिस शुरू की थी। प्रैक्टिस करते हुए उन्हें अफ्रीका के एक अमीर सेठ का केस लड़ने का मौका मिला जिसके सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। उस केस को उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में जीत लिया मगर वहां उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में हो रहे नस्ली भेदभाव को देखा और वहां के लोगों की स्थिति उनसे देखी नहीं गई। वहां गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया और अंग्रेजों को बड़े से बड़े मुकदमे में हरा दिया। जिसके बाद नस्ली भेदभाव के खिलाफ अंग्रेजों को कानून बनाना पड़ा और यह बात पूरे विश्व में फैल गई कि भारत से आए महात्मा गांधी ने अहिंसा के दम पर अंग्रेजों से कानून बनवाया।

महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ 21 वर्ष तक थे। इसके बाद अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के नेतृत्व और सलाह पर उन्होंने भारत आने का फैसला किया। 9 जनवरी 1915 को महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी 21 साल बाद भारत की सरजमी पर वापस आए। यहां कार्यकर्ताओं ने इनका बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया और अपने गुरु के आदेश के अनुसार महात्मा गांधी ने 1 साल तक पूरे भारत का भ्रमण किया उन्होंने किसी भी तरीके के आंदोलन या सही गलत की विचारधारा में अपना मत नहीं दिया और 1 साल तक केवल भारत को देखते रहे।1 साल के बाद वह 1917 में बिहार के चंपारण जिले में आए और नील की खेती करने वाले मजदूरों के खिलाफ चंपारण सत्याग्रह से अपने आंदोलन को शुरू किया।

देखते ही देखते हर नए साल गांधीजी एक नए आंदोलन के साथ नजर आते थे 1917 में चंपारण सत्याग्रह, के बाद 1918 में खेड़ा आंदोलन, 1919 में रोवाल्ट एक्ट विरोध आंदोलन, 1920 में असहयोग आंदोलन, 1922 में सविनय अवज्ञा आंदोलन, 1930 में दांडी मार्च, 1935 में दलित आंदोलन, और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन करते हुए उन्होंने देश को अंग्रेजों से मुक्त करवाया।

गांधीजी आजादी के दौरान सभी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पिता समान थे। इस वजह से उन्हें राष्ट्रपिता का दर्जा भी दिया गया और उनके सम्मान में देश के सभी नागरिक उनके आगे अपना सर झुकाते हुए उनके दिए गए निर्देशों का पालन करते है गांधी जयंती का त्यौहार मनाते है ताकि हम उस दिन महात्मा गांधी के बलिदान को याद कर सके और उनके निर्देशों का पालन कर सकें।

महात्मा गांधी के शैक्षिक विचार:

• कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है. क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है।

• कोई कायर प्यार नहीं कर सकता है; यह तो बहादुर की निशानी है।

• भविष्य में क्या होगा, मैं यह नहीं सोचना चाहता। मुझे वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।

• अपनी गलती को स्वीकारना झाडू लगाने के समान है, जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ कर देती है

• श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास।

महात्मा गांधी के सुविचार:

• कुछ लोग सफलता के केवल सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते है।

• दुनिया में ऐसे लोग हैं, जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता सिवाय रोटी के रूप में।

• प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमें सबसे नम्र है।

• जब तक गलती करने की स्वतंत्रता न हो, तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।

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