
देशभर में चल रहे बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दाखिल जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच कर रही है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्वाई पर रोक लगाते हुए कहा था कि सिर्फ सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रम को हटाने की ही छूट होगी.
इस मामले में यूपी, एमपी और राजस्थान की ओर से SG तुषार मेहता पेश हुए. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में पूछा कि क्या दोषी करार देने पर भी किसी की संपत्ति तोड़ी जा सकती है? जिस पर एसजी तुषार ने कहा कि नहीं, यहां तक कि हत्या, रेप और आतंक के केस के आधार पर भी नहीं. मेरे कुछ सुझाव हैं, नोटिस को रजिस्टर्ड एडी से भेजा जाए.
हम सबके लिए गाइडलाइन जारी करेंगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम सब नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी करेंगे. अवैध निर्माण हिंदू, मुस्लिम कोई भी कर सकता है.
हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों. बेशक, अतिक्रमण के लिए हमने कहा है कि अगर यह सार्वजनिक सड़क या फुटपाथ या जल निकाय या रेलवे लाइन क्षेत्र पर है, तो हमने स्पष्ट कर दिया है. अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, चाहे वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मंदिर, यह सार्वजनिक बाधा नहीं बन सकती.
जस्टिस गवई ने कहा कि चाहे मंदिर हो, दरगाह हो, उसे जाना ही होगा क्योंकि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि यदि 2 संरचनाओं में उल्लंघन हुआ है और केवल 1 के खिलाफ कार्रवाई की जाती है और आप पाते हैं कि पृष्ठभूमि में कोई अपराध है.
यह समझौता करने योग्य या गैर समझौता करने योग्य अपराध हो सकता है. यदि आप शुरू में किसी व्यक्ति की जांच कर रहे हैं और आपको जल्द ही उसका आपराधिक इतिहास पता चलता है तो? दो गलतियां एक सही नहीं बनाती हैं
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