
🔱 पौराणिक कथा: माँ दुर्गा का “मुण्ड” वध
माँ मुंडेश्वरी मंदिर से जुड़ी कथा है कि देवी दुर्गा ने यहाँ पर राक्षस मुण्ड का वध किया था। चण्ड का वध करने के बाद माँ दुर्गा ने मुण्ड को यहीं समाप्त किया। इसी कारण उन्हें ‘मुंडेश्वरी’ कहा गया — मुण्ड का संहार करने वाली देवी।
कुछ मान्यताओं के अनुसार देवी का जन्म भी मुण्ड के सिर से हुआ था। वहीं अन्य परंपराओं में उन्हें मंडलेश्वरी के रूप में जाना जाता है, जो बाद में मुंडेश्वरी में परिवर्तित हो गया।
🛕 मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
📜 सबसे पुराना जीवित मंदिर
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अनुसार, यह मंदिर 108 ईस्वी में बना था और इसे विश्व का सबसे प्राचीन ‘जीवित’ हिन्दू मंदिर माना गया है।
🪔 अभिलेखीय प्रमाण
- ब्राह्मी लिपि में लिखे शिलालेख (लगभग 389 ई.)
- शक संवत 30 (सं. 108 ई.) में राजा उदयसेन का उल्लेख
- ह्वेनसांग जैसे यात्रियों के दस्तावेजों में भी उल्लेख
🏛️ स्थापत्य और मूर्तिकला
मंदिर की अष्टकोणीय संरचना
चतुर्मुखी स्वयम्भू शिवलिंग गर्भगृह में स्थित
देवी मुंडेश्वरी (वराही रूप) दक्षिणी दिशा में प्रतिष्ठित
अन्य मूर्तियाँ: गणेश, सूर्य, विष्णु आदी
🙏 अनोखे अनुष्ठान और रहस्य
🐐 “निर्बलि बकरी” परंपरा
माँ के सामने बकरी को बैठाया जाता है, वह स्वतः बेहोश हो जाती है। मंत्रोच्चार और अक्षत फेंकने के बाद वह पुनः उठती है — यह संपूर्ण प्रक्रिया बिना रक्त के बलिदान को दर्शाती है।
🌈 रंग बदलता शिवलिंग
स्थानीय मान्यता है कि मंदिर का शिवलिंग दिन में 2-3 बार अपना रंग बदलता है, जो सूर्य की किरणों और पत्थर की विशेषता से जुड़ा माना जाता है।
🌄 पर्यटन और त्योहार
प्रमुख पर्व: नवरात्र, महाशिवरात्रि, रामनवमी
कैमूर हिल्स की गोद में स्थित, प्रकृति और आस्था का संगम
✍️ समापन
माँ मुंडेश्वरी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थान नहीं, बल्कि भारतीय आस्था, संस्कृति और शौर्य
की प्रतीक धरोहर है। यह मंदिर आज भी बिहार और भारत के लिए आस्था और इतिहास का जीवंत संगम बना हुआ है।
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