ऑपरेशन सिंदूर: विश्व मंच पर उभरते भारत की निणार्यक गूंज- आलोक उपाध्याय

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भारत ने हाल ही में जिस सूझबूझ, आत्मविश्वास और रणनीतिक संतुलन के साथ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, उसने न केवल देश की सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश भी दिया कि भारत अब एक नवीन, सशक्त और आत्मनिर्भर शक्ति के रूप में उभर चुका है। यह ऑपरेशन कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हुआ। जहां एक ओर यह 1971 के युद्ध के बाद भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया गया सबसे बड़ा सैन्य अभियान माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसने यह भी दिखाया कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।

* लक्ष्य-स्पष्ट, सटीक और संतुलित कार्रवाई

ऑपरेशन सिंदूर को लक्ष्य-केंद्रित, नपी-तुली और नॉन-एस्केलेटरी कार्रवाई के रूप में अंजाम दिया गया। इसका अर्थ यह है कि भारत ने पूरी संयमिता के साथ अपने उद्देश्य को साधते हुए इस बात का भी ध्यान रखा कि टकराव की स्थिति उत्पन्न न हो। इस प्रकार की रणनीतिक संतुलनपूर्ण नीति आज के वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में भारत की परिपक्वता को दर्शाती है।

* एक नया भारत, जो सीमाओं में नहीं बंधा

ऑपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध कर दिया कि आज का भारत केवल अपनी भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है। अब वह जरूरत पड़ने पर विश्व के किसी भी कोने में अपने नागरिकों और हितों की रक्षा करने में सक्षम है वह भी बिना किसी अंतरराष्ट्रीय तनाव को जन्म दिए।

* पिछली कार्रवाइयों से अलग और अधिक प्रभावी

जहाँ 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक सीमित लक्ष्यों पर केंद्रित थीं, वहीं ऑपरेशन सिंदूर एक व्यापक रणनीतिक अभियान था। इससे न केवल भारत की सैन्य तैयारी और एकजुटता का प्रदर्शन हुआ, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व क्षमता भी परिलक्षित हुई।

* सफलता की दिशा में एक और कदम

इस ऑपरेशन से यह स्पष्ट हुआ कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने वाला राष्ट्र नहीं, बल्कि पूर्वानुमान और योजना के आधार पर पहल करने वाला राष्ट्र बन चुका है। यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक सशक्त कदम है, जहाँ रक्षा नीति में पारदर्शिता, दृढ़ता

और कुशल रणनीति का समावेश है। पाकिस्तान की परमाणु हमले की धमकी एक बार फिर खोखली साबित हुई। भारत ने न सिर्फ इस चुनौती का दृढ़ता से सामना किया, बल्कि अपनी रणनीतिक सूझबूझ, सैन्य क्षमता और अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए एक ऐसा सबक सिखाया, जिसे दुश्मन लंबे समय तक याद रखेगा। इस पूरे अभियान में एक विशेष पहलू यह भी रहा कि इसमें देश की महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई। यह महज एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी एक सशक्त प्रतीक बन गया – यह था ऑपरेशन सिंदूर।

* ऑपरेशन सिंदूरः नाम में निहित संदेश

‘सिंदूर’ भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। यह नाम न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देता है, बल्कि इस ऑपरेशन में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को भी रेखांकित करता है। इस अभियान के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट हुआ कि आज की भारतीय महिला सीमाओं की रक्षा में भी पीछे नहीं है, चाहे वह वायुसेना की लड़ाकू पायलट हो, थलसेना की रणनीतिकार हो या साइबर युद्ध विशेषज्ञ।

* महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल

ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण की एक जीवंत मिसाल भी है। इस अभियान में महिला अधिकारियों ने न केवल रणनीति बनाई, बल्कि कई ने जमीनी स्तर पर नेतृत्व भी किया। इससे यह सिद्ध होता है कि महिलाएं अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और राष्ट्र की सुरक्षा में समान रूप से योगदान दे रही हैं।

* एक नई दीवालीः बुराई पर अच्छाई की जीत

जिस प्रकार दीवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है, उसी प्रकार ऑपरेशन सिंदूर भी एक नई दीवाली की तरह है जिसमें अंधकारमय मंसूबों का अंत हुआ और राष्ट्र की गरिमा, सुरक्षा और एकता का दीप जल उठा। यह अभियान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा और महिला शक्ति के प्रति समाज की सोच को और मजबूत करेगा।

* दृढ़ नेतृत्व का परिचय

इस पूरे अभियान के केंद्र में देश का दृढ़ और निर्णायक नेतृत्व रहा, जिसने यह सिद्ध किया कि परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों के दबाव में आए बिना, भारत अपने हितों की रक्षा के लिए तत्पर है। यह नेतृत्व केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों से देश की शक्ति को

परिभाषित कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित किया कि भारत अब बदल चुका है – यह सशक्त है, सजग है और निर्णायक है। यह अभियान केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि एक विचारधारा की जीत है एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना की पुष्टि।

ये आर्टिकल – आलोक उपाध्याय

(शोध छात्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय, जर्मन अध्ययन विभाग) के द्वारा लिखी गई है

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