
कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून से 25 अगस्त के बीच होगी। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को आवेदन प्रक्रिया के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा KMY कि वेबसाइट खोल दी है। तीर्थयात्री kmy वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं। 13 मई, 2025 आवेदन करने की अंतिम तारीख है।
इस साल उत्तराखंड और सिक्किम के रास्ते यात्रियों का 15 जत्था कैलाश मानसरोवर जाएगा। 5 जत्थे में 50-50 यात्री उत्तराखंड से लिपुलेख दर्रे को पार करते हुए मानसरोवर जाएंगे। वहीं, 10 जत्थे में 50-50 यात्रियों का ग्रुप सिक्किम से नाथूला होते हुए यात्रा करेगा।
कैलाश मानसरोवर चीन के कब्जे वाले तिब्बत में है। विदेश मंत्रालय हर साल यात्रा का आयोजन करता है। हालांकि पिछले पांच सालों से चीन कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए भारतीयों को इजाजत नहीं दे रहा था। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और कोविड की लहर इसकी प्रमुख वजह थी।
अब 5 साल बाद फिर यात्रा शुरू होने वाली है। इसे भारत और चीन के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। दोनों देशों ने पिछले साल अक्टूबर में हुए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग पोस्ट से अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले साल अक्टूबर में 5 साल बाद रूस के कजान शहर में मिले थे। तब दोनों देशों ने आपसी संबंधों की स्थिति पर चर्चा की और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कुछ कदम उठाने पर सहमति जताई थी।
इसके बाद से पिछले 3 महीने में चीन-भारत सीमा के विवादित इलाके डेमचोक और देपसांग से दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा और फ्लाइट सर्विस 5 साल बाद शुरू करने के फैसले हुए हैं।
भारत-चीन के बीच 2020 से फ्लाइट सर्विस भी बंद थी
विदेश मंत्रालय ने 27 जनवरी को बताया था कि भारत-चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स सर्विस भी शुरू होगी। दोनों देशों के बीच 2020 से फ्लाइट सर्विस बंद थी। भारत-चीन के बीच जून 2020 में डोकलाम विवाद हुआ था और 2019 मार्च में कोविड की पहली लहर आई थी।
कोरोना महामारी से पहले दोनों देशों के बीच हर महीने 539 जहाजों कि सीधी उड़ानें हुआ करती थीं। इनकी कैपेसिटी 1.25 लाख सीटों से ज्यादा थी। इन फ्लाइट्स में एअर इंडिया, चाइना साउदर्न एयरलाइंस, चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस जैसी कंपनियां शामिल थीं।
उड़ान बंद के बाद दोनों देशों के यात्री बांग्लादेश, हॉन्गकॉन्ग, थाइलैंड और सिंगापुर जैसे कनेक्टिंग हब के जरिए यात्रा करते थे। हालांकि यह यात्रा महंगी पड़ती थी। जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच हॉन्गकॉन्ग होते हुए 1.73 लाख, सिंगापुर होते हुए 98 हजार, थाईलैंड होते हुए 93 हजार और बांग्लादेश होते हुए 30 हजार लोगों ने दोनों देशों की यात्राएं की थीं।
कैलाश मानसरोवर का ज्यादातर एरिया तिब्बत में है। तिब्बत पर चीन अपना अधिकार बताता है। कैलाश पर्वत श्रेणी कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है। इस इलाके में ल्हा चू और झोंग चू नाम की दो जगहों के बीच एक पहाड़ है। यहीं पर इस पहाड़ के दो जुड़े हुए शिखर हैं। इसमें से उत्तरी शिखर को कैलाश के नाम से जाना जाता है। इस शिखर का आकार एक विशाल शिवलिंग जैसा है। उत्तराखंड के लिपुलेख से यह जगह सिर्फ 65 किलोमीटर दूर है। फिलहाल कैलाश मानसरोवर का बड़ा इलाका चीन के कब्जे में है। इसलिए यहां जाने के लिए चीन की अनुमति चाहिए होती है।
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