
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 हटाने के फ़ैसले को बरक़रार रखा था।
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्ज़ा देने वाले अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 में हटा दिया था. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और 2023 में डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की पीठ ने सरकार के इस फ़ैसले को बरकार रखा। सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले की कई क़ानूनविदों ने आलोचना करते हुए कहा था कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ संविधान की रक्षा करने में विफल रहे। अपने इस फ़ैसले का बचाव करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इंटरव्यू में कहा, “इस मामले में फ़ैसलों में से एक को मैंने लिखा था. अनुच्छेद 370 संविधान बनने के साथ ही शामिल किया गया था और ट्रांजीशन प्रोविज़ंस शीर्षक अध्याय का हिस्सा था, बाद में इसका नाम बदलकर टेंपरेरी ट्रांज़िशनल प्रोविज़ंस कर दिया गया.”
“इसलिए जब संविधान बना था तो यह माना गया था कि ये प्रावधान धीरे धीरे ख़त्म हो जाएंगे. क्या 75 साल कम होते हैं ट्रांज़िशनल प्रोविज़न को ख़त्म किये जाने में?”
स्टीफ़न सैकर ने जब उनसे पूछा कि सिर्फ़ अनुच्छेद 370 ही नहीं, बल्कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा भी ख़त्म कर उसे केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया गया और इसकी स्टेटहुड बहाल करने के लिए कोई डेडलाइन भी नहीं तय की गई। इस सवाल के जवाब में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने की एक डेडलाइन तय की थी और वह समय सीमा थी 30 सितंबर 2024 और अक्टूबर 2024 में चुनाव की तारीख़ तय की थी.” हालांकि सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकीलों प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले को ग़ैर संवैधानिक कहा था। उनके इस आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “अब वहां लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है और वहां एक ऐसी पार्टी को शांतिपूर्वक सत्ता हस्तांतरित हुई जो केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी से अलग है. यह साफ़ दिखाता है कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र सफल हुआ है.” राज्य का दर्जा ख़त्म किए जाने पर उन्होंने कहा, “जम्मू कश्मीर राज्य को तीन केंद्र शासित क्षेत्रों में बदलने के मामले में हमने केंद्र सरकार के इस हलफ़नामे को स्वीकार किया कि जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे को जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा.” लेकिन राज्य के दर्जे को बहाल किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोई डेडलाइन नहीं तय की. हालांकि जस्टिस चंद्रचूड़ का कहना था, “उस मायने में सुप्रीम कोर्ट ने लोकतांत्रिक जवाहबदेही, और चुनी हुई सरकार का बनना सुनिश्चित किया. यह आलोचना कि हमने अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया, यह सही नहीं है.”
नोट- यह खबर बीबीसी द्वारा जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का इंटरव्यू से ली गई है।
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