B.Ed डिग्रीधारकों के लिए बड़ी राहत! अब CTET और TET की जरूरत नहीं, पढ़ें नया अपडेट

भारत में शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन और सुधार लगातार हो रहे हैं। हाल ही में B.Ed डिग्री धारकों के लिए एक बड़ा न्यूज़ आई है। अब उन्हें शिक्षक बनने के लिए CTET (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) या TET (शिक्षक पात्रता परीक्षा) देना जरूरी नहीं होगा। यह फैसला लाखों छात्रों के लिए राहत लेकर आया है, जो शिक्षक बनने का सपना देखते हैं लेकिन बार-बार CTET और TET पास करने के लिए निकल पड़ते हैं।

इस नए अपडेट से न केवल शिक्षा क्षेत्र में पोर्टफोलियो, बल्कि उपयुक्त अंश को शिक्षक बनने का मौका भी मिलेगा। इस लेख में हम इस नई व्यवस्था के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, इसके लाभ, आवश्यकता शर्त और संबंधित अन्य सिद्धांतों को समझेंगे।

बीएड डिग्रीधारकों के लिए सीटीईटी और टीईटी की अनिवार्यता खत्म

विज्ञापनों

सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि बीएड डिग्री धारक अब बिना सीटीईटी या टीईटी परीक्षा पास किए भी सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षक पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह निर्णय शिक्षा मंत्रालय द्वारा लिया गया है ताकि उपयुक्त सामग्री को बिना किसी अतिरिक्त बाधा के शिक्षक बनने का अवसर मिल सके।

इससे पहले, शिक्षक बनने के लिए CTET या TET परीक्षा पास करना अनिवार्य था। लेकिन अब B.Ed डिग्री को ही स्वायत्त योग्यता माना जाएगा। यह कदम उन लोगों के लिए था, जो वैभवशाली साबित हुए थे, जो बार-बार इन होटलों में शामिल हो रहे थे और उनका समय और पैसा बर्बाद हो रहा था।

 

* यह भी पढ़ें

बी.एड. 1 वर्षीय पाठ्यक्रम 10 वर्ष की शिक्षा के बाद

10 वर्षों के बाद बी.एड 1-वर्षीय पाठ्यक्रम: शुल्क सीमा ₹20,000 – ₹30,000 और पात्रता विवरण

योजना का रूपरेखा विवरण

: … त्यों

योजना का नाम CTET और TET की अनिवार्यता ख़त्म

:क बी.एड डिग्रीधारक

घोषणा की तारीख हाल ही में

प्रमुख उद्देश्य उचित राहत को राहत देना

लागू क्षेत्र पूरा भारत

शिक्षा स्तर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक

परीक्षा की स्थिति CTET/TET अनिवार्य नहीं

निकाय शिक्षा मंत्रालय

इस फैसले के पीछे मुख्य कारण है

सरकार ने ये फैसला क्यों लिया? इसके पीछे कई कारण हैं:

उचित की कमी: कई बार योग्य अभ्यर्थी केवल CTET या TET परीक्षा पास न कर पाने की वजह से शिक्षक नहीं बन पाए थे।

समय और धन की बचत: बार-बार परीक्षा देने से समय और धन का नुकसान हुआ।

शिक्षा क्षेत्र में सुधार: शिक्षा क्षेत्र में पात्रता की संख्या में सुधार।

सुविधा: अब केवल B.Ed डिग्रीधारकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे पात्रता होगी।

B.Ed डिग्रीधारकों को क्या मिलेगा लाभ?

इस नए नियम से B.Ed डिग्रीधारकों को होंगे कई फायदे:

CTET/TET परीक्षा की अंतिम तिथि समाप्त: अब उन्हें इन परीक्षाओं की तैयारी की आवश्यकता नहीं होगी।

आसान प्रक्रिया: सीधी भर्ती प्रक्रिया से समय बचाएगा।

आर्थिक बचत: बार-बार परीक्षा शुल्क की आवश्यकता नहीं होगी।

नौकरी के अवसर बढ़ेंगे: सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में नौकरी पाने का अवसर मिलेगा।

सभी B.Ed डिग्रीधारकों पर यह नियम लागू होंगे?

यह नियम सभी B.Ed डिग्रीधारकों पर लागू होगा, लेकिन कुछ शर्ते हो सकती हैं:

अभ्यर्थी ने मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से बी.एड किया हो।

आवेदन करने का समय अन्य आवश्यक है।

राज्य सरकार अपने स्तर पर कुछ अतिरिक्त सुविधाएं रख सकती है।

CTET और TET समाप्त होने से शिक्षा क्षेत्र पर प्रभाव

CTET और TET समाप्त होने का शिक्षा क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव:

योग्य व्यवस्थापन की संख्या।

दूर जाॅब से दूर जायें।

छात्रों को बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा सुविधा।

भर्ती प्रक्रिया शीघ्र होगी।

हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे शिक्षा गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है क्योंकि CTET/TET एक मानक तय था।

सभी राज्यों पर यह क्या निर्णय लागू होगा?

यह निर्णय पूरे भारत में लागू होगा, लेकिन राज्य सरकार अपने स्तर पर इसे लागू करने का तरीका तय कर सकती है। उदाहरण के तौर पर, कुछ राज्य अभी भी अपना राज्य सैद्धांतिक टीईटी जारी रख सकते हैं।

इसलिए, सलेम को सलाह दी जाती है कि वे अपने राज्य की बस्तियों पर ध्यान दें और समझें।

एक वर्षीय बी.एड कोर्स समाचार

एक साल का B.Ed कोर्स न्यूज़ – अब सिर्फ 1 साल में B.Ed की डिग्री, छात्रों के लिए सरकार का बड़ा फैसला!

इस जज से जुड़े सवाल-जवाब

1. CTET/TET पूरी तरह से क्या बंद हो गया है?

नहीं, यह केवल B.Ed डिग्री धारकों के लिए अनिवार्य नहीं है। अन्य शिक्षण के लिए यह जारी किया जा सकता है।

2. क्या D.El.Ed छात्र भी इस नियम का लाभ उठा सकते हैं?

यह नियम केवल बीएड अभ्यर्थियों के लिए लागू किया गया है।

3. कौन से निजी स्कूल भी इस नियम का पालन करेंगे?

हां, निजी स्कूलों को भी इस नियम का पालन करना चाहिए क्योंकि यह केंद्र सरकार द्वारा घोषित किया गया है।

4. शिक्षा पर प्रभाव क्या है?

यह पूरी तरह से स्कूल प्रबंधन और शैक्षणिक योग्यता पर प्रतिबंध है।

सरकार का यह कदम निश्चित रूप से लाखों B.Ed डिग्री धारकों के लिए राहत लेकर आया है। इससे न केवल उनकी नौकरी पाने की प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में भी सुधार होगा। हालाँकि, इसका प्रभाव पूरी तरह से अत्यावश्यक है।

अस्वीकरण:

यह जानकारी सरकारी घोषणाओं और मीडिया पर आधारित है। कृपया आधिकारिक अधिसूचना देखें या संबंधित विभाग से संपर्क करें ताकि सही जानकारी प्राप्त हो सके।

Loading


Discover more from जन विचार

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Related Posts

कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! रिटायरमेंट की उम्र बढ़ी, सरकार ने जारी किया नया नियम Retirement Age New Rule

1 Retirement Age New Rule: हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लेते हुए शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र को एक वर्ष बढ़ा दिया है। इस फैसले…

Loading

Read more

Continue reading
बिहार के 27% सांसद-विधायक राजनीतिक परिवारों से, जानें सबसे ज्यादा किस पार्टी में है वंशवाद?

1 बिहार की राजनीति में वंशवाद एक गंभीर समस्या बनी हुई है। राज्य के 27% सांसद और विधायक राजनीतिक परिवारों से हैं जो राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है। एडीआर…

Loading

Read more

Continue reading

Leave a Reply

You Missed

बिहार चुनाव में अब शंकराचार्य की एंट्री,लड़ाएंगे सभी सीटों पर निर्दल गौ भक्त प्रत्याशी

बिहार चुनाव में अब शंकराचार्य की एंट्री,लड़ाएंगे सभी सीटों पर निर्दल गौ भक्त प्रत्याशी

कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! रिटायरमेंट की उम्र बढ़ी, सरकार ने जारी किया नया नियम Retirement Age New Rule

कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! रिटायरमेंट की उम्र बढ़ी, सरकार ने जारी किया नया नियम Retirement Age New Rule

बिहार के 27% सांसद-विधायक राजनीतिक परिवारों से, जानें सबसे ज्यादा किस पार्टी में है वंशवाद?

बिहार के 27% सांसद-विधायक राजनीतिक परिवारों से, जानें सबसे ज्यादा किस पार्टी में है वंशवाद?

INDIA के कितने दलों के सांसदों ने की क्रॉस वोटिंग? इन नामों की चर्चाएं, विपक्ष खोज रहा जवाब

INDIA के कितने दलों के सांसदों ने की क्रॉस वोटिंग? इन नामों की चर्चाएं, विपक्ष खोज रहा जवाब

Discover more from जन विचार

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading