जलते हुआ लॉस ऐंजल्स पर भारत की क्यों बढी चिंता

 धरती खतरे में : लॉस एंजेलिस की आग और ग्लोबल वार्मिंग का सच

धरती का बढ़ता तापमान और जलवायु परिवर्तन अब केवल वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए चिंता का विषय नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसा वास्तविक संकट बन चुका है जो पूरी मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रहा है। हाल ही में लॉस एंजेलिस में हुई भीषण जंगल की आग ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि हमारी पृथ्वी गंभीर संकट में है। यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं थी, बल्कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन का सीधा परिणाम थी। अगर समय रहते हम नहीं संभले, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी एक सुरक्षित और रहने योग्य स्थान नहीं रहेगी।

ग्लोबल वार्मिंग और जंगल की आग का संबंध :

यूरोपीय स्पेस एजेंसी की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 पहला वर्ष है जब दुनिया का औसत तापमान औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया। इसके दुष्परिणाम दुनिया के हर हिस्से में देखे जा सकते हैं – कहीं भीषण गर्मी पड़ रही है, कहीं बर्फीले क्षेत्रों में बर्फ तेजी से पिघल रही है, तो कहीं जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

नेशनल इंटरएजेंसी फायर सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में सितंबर तक अमेरिका में 38,000 से अधिक जंगल की आग की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे 78 लाख एकड़ जमीन प्रभावित हुई। यह आंकड़ा दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन केवल वैज्ञानिक शोध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के लिए एक प्रत्यक्ष खतरा बन चुका है।

अमेरिका में हर साल जंगलों में आग लगने की 45,000 से अधिक घटनाएं होती हैं। लेकिन इस बार लॉस एंजेलिस में जो हुआ, वह एक चेतावनी के समान है कि अगर हमने अभी भी जलवायु परिवर्तन पर लगाम नहीं लगाई, तो भविष्य में ऐसी घटनाएं और भी बढ़ सकती हैं।

लॉस एंजेलिस की आग: जलवायु परिवर्तन का क्रूर चेहरा

7 जनवरी 2024 को लॉस एंजेलिस के जंगलों में लगी आग ने 1.8 लाख से अधिक लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया। यह आग अत्यधिक गर्मी और सूखे की वजह से तेजी से फैली। जंगल की इस भीषण आग ने दिखा दिया कि जब प्रकृति असंतुलित होती है, तो इसका असर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है।

नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में जलवायु वैज्ञानिक पीटर कैलमस के अनुसार, पृथ्वी के लगातार गर्म होने से कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ रहा है, जिससे जंगलों में आग लगने की घटनाएं अधिक हो रही हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट स्कूल के डीन जोनाथन ओवरपेक का कहना है कि 1999 के बाद से दक्षिण-पश्चिम अमेरिका भीषण सूखे की चपेट में है। यही कारण है कि अमेरिका के पश्चिमी इलाके से लेकर कनाडा तक जंगलों में आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।

 ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता खतरा :

कॉपरनिकस एटमॉस्फेरिक मॉनिटरिंग सर्विस के निदेशक लॉरेंस रोउल के अनुसार, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन की गति और अधिक तेज हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 की तुलना में 2024 में वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा प्रति दस लाख पर 2.9 कण अधिक रही।

कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें सैकड़ों सालों तक वातावरण में बनी रहती हैं और पृथ्वी को गर्म करती रहती हैं। यही कारण है कि हिंद महासागर, उत्तर अटलांटिक और पश्चिमी पैसिफिक महासागरों का तापमान भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच चुका है, जिससे ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ तेजी से पिघल रही है और जलवायु असंतुलन बढ़ रहा है।

भारत और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए खतरा

हालांकि यह समस्या केवल अमेरिका या यूरोप तक सीमित नहीं है। भारत जैसे कृषि-प्रधान देश के लिए जलवायु परिवर्तन एक गंभीर चुनौती बन चुका है। वर्षा चक्र में बदलाव, अत्यधिक गर्मी, सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएं भारतीय किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रही हैं।

ग्रामीण भारत में खेती पर निर्भर करोड़ों लोगों के लिए जलवायु परिवर्तन एक गंभीर संकट बन सकता है। यदि समय रहते हमने प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो भारत में भीषण सूखा और अत्यधिक गर्मी से खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा, जिससे लाखों लोग भूखमरी और गरीबी का शिकार हो सकते हैं।

 क्या किया जाना चाहिए?

1. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी – उद्योगों, वाहनों और कृषि से निकलने वाले कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।

2. वृक्षारोपण को बढ़ावा – जंगलों की अंधाधुंध कटाई को रोका जाए और अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं।

3. स्वच्छ ऊर्जा अपनाना – कोयला और पेट्रोलियम जैसे प्रदूषक ईंधनों की बजाय सौर, पवन और जल ऊर्जा जैसे स्वच्छ विकल्पों को अपनाना जरूरी है।

4. पर्यावरण शिक्षा – आम जनता को जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।

5. वैश्विक सहयोग – जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ठोस नीतियां बनाई जाएं और सभी देश मिलकर इस संकट का समाधान खोजें।

निष्कर्ष :
लॉस एंजेलिस की आग केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन की भयावह वास्तविकता का संकेत है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि हमारी धरती खतरे में है, और यदि हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन अत्यधिक कठिन हो जाएगा।

भारत जैसे विकासशील देश को इस संकट से बचने के लिए ठोस नीति और ठोस क्रियान्वयन की आवश्यकता है। यदि हमने समय रहते जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण नहीं पाया, तो आने वाले वर्षों में भारत में भी सूखा, बाढ़, और जंगलों की आग जैसी आपदाएं आम हो जाएंगी।

अब समय आ गया है कि हम एकजुट होकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई लड़ें, अन्यथा आने वाला कल और भी भयावह होगा।

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जी पी सोनी

G P Soni is the co-founder and editor of Janvichar.in, a leading news and media platform. With over 10 years of experience in the media industry, G P Soni brings a wealth of knowledge and expertise to the team. His commitment to delivering high-quality, unbiased news has been instrumental in establishing Janvichar.in as a trusted source of information. He is the Student of P.H.D Mass Communication Media Student. He has worked many Brand news papers, and many more news Channels. He is a Socialist & news Blogger . He like searching investigative news . He is also Co-Founder of Saptsindhu Navchetan foundation.

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