
नए साल की शुरुआत में ही होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा में गहमागहमी बढ़ती जा रही है। भाजपा ने सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों को लेकर मंथन कर लिया है। अब केंद्रीय नेतृत्व के साथ अनौपचारिक बैठक में इस पर विचार किया जाएगा।
नए साल की शुरुआत में ही होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा में गहमागहमी बढ़ती जा रही है। दिल्ली भाजपा ने सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों को लेकर मंथन कर लिया है। अब केंद्रीय नेतृत्व के साथ अनौपचारिक बैठक में इस पर विचार किया जाएगा। इसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी की शुरुआत में होने की संभावना है। पार्टी का प्रचार अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से शुरू होगा। हरियाणा और महाराष्ट्र की बड़ी जीतों, लेकिन झारखंड के झटके के बाद भाजपा नेतृत्व ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर अंदरूनी तौर पर काफी विचार-विमर्श किया है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी का मानना है कि जहां वह सीधे जनता तक अपना जुड़ाव कायम करने में सफल रही है, वहां उसे जीत मिली है और जहां इस मामले में कमजोर पड़ी, उसे हार का सामना करना पड़ा है। बड़े नेताओं को मैदान में उतारेगी पार्टी : सूत्रों का कहना है कि पार्टी मध्य प्रदेश की तरह दिल्ली में भी अपने अधिकांश बड़े नेताओं को चुनाव लड़ा सकती है। इनमें लोकसभा चुनाव में टिकट कटने वाले पूर्व सांसद, पूर्व विधायक भी शामिल हैं। एक बड़ी दावेदारी पूर्व और मौजूदा पार्षदों की है, लेकिन उनकी छवि को देखते हुए ही फैसला किया जाएगा। इसके लिए पार्टी ने कुछ एजेंसियों से भी संभावित उम्मीदवारों को लेकर फीडबैक लिया है।
जनता से जुड़ाव को दिया जा रहा महत्व
पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि जनता से जुड़ाव का केवल यह अर्थ नहीं है कि हम हर व्यक्ति से प्रत्यक्ष मिलें, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि उसे यह लगना चाहिए कि भाजपा की सत्ता में ही बेहतरी होगी। अगर अन्य दल आए तो उनकी अपनी दिक्कतें बढ़ेंगी। यह काम मानस परिवर्तन यानी तथ्यों और स्थितियों के आधार पर मानसिकता में बदलाव लाने का है। ऐसे में साफ-सुथरे, सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को साधते हुए उम्मीदवार उतारने से जीतने की संभावना बढ़ जाती है।
Discover more from जन विचार
Subscribe to get the latest posts sent to your email.