सोमवार को लोकसभा में पेश होगा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक

विधेयकों का मसौदा पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार तैयार किया गया था, जिसे 2 सितंबर, 2023 को कानून मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया गया था।

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार को लोकसभा में दिन की कार्यसूची के अनुसार लोकसभा के साथ-साथ राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए विधेयक पेश करेंगे। गुरुवार को मंत्रिमंडल ने संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन विधेयक), 2024 को मंजूरी दी और शुक्रवार शाम को इसे सांसदों को भेज दिया। मसौदा विधेयक के अनुसार, एक साथ चुनाव एक “नियत तिथि” से लागू होंगे, जिसे आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार, इस नियत तिथि के बाद निर्वाचित सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के साथ ही समाप्त हो जाएगा, जिससे एक साथ चुनाव का रास्ता साफ हो जाएगा। चूंकि 2024 में निर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक बीत चुकी है, इसलिए नियुक्त तिथि को सबसे पहले 2029 के चुनावों में निर्वाचित सदन की पहली बैठक के लिए अधिसूचित किया जा सकता है। इसका मतलब है कि 2034 तक एक साथ चुनाव हो सकते हैं जब उस सदन का पूरा कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। इसी प्रकार, केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विधेयक में दिल्ली, जम्मू और कश्मीर तथा पुडुचेरी की विधानसभाओं के प्रावधानों में भी यही परिवर्तन किया गया है।

इन विधेयकों का मसौदा पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार तैयार किया गया है, जिसे 2 सितंबर, 2023 को कानून मंत्रालय द्वारा एक साथ चुनाव कराने के तरीकों और संशोधनों का सुझाव देने के लिए नियुक्त किया गया था।

विधेयक के अनुसार, यदि लोकसभा या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा पूर्ण कार्यकाल समाप्त होने से पहले भंग हो जाती है, तो केवल उस विधानसभा के लिए शेष पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे। मसौदा विधेयक में अनुच्छेद 82 (ए) जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है, “राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद सदन की पहली बैठक के दिन लोगों द्वारा जारी एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा इस अनुच्छेद के प्रावधान को लागू कर सकेंगे, अधिसूचना की तारीख को नियत तारीख कहा जाएगा।” विधेयक में कहा गया है, “अनुच्छेद 83 और अनुच्छेद 172 में किसी बात के होते हुए भी, नियत तिथि के पश्चात् और लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व आयोजित किसी भी आम चुनाव में गठित सभी विधान सभाओं का कार्यकाल लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति पर समाप्त हो जाएगा।” उद्देश्य और कारण के बयान में सरकार ने लोकसभा और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के पीछे “महंगे और समय लेने वाले” चुनावों को कारण बताया। एक साथ चुनाव कराना जरूरी बताते हुए सरकार ने इसकी लागत या इसके लागू होने की सटीक समयसीमा नहीं बताई।

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