
देव दीपावली, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, वाराणसी में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है। इस त्योहार का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, और इसे मनाने के पीछे कई कारण हैं।
देव दीपावली का महत्व और कारण
1. त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की विजय
- देव दीपावली भगवान शिव की राक्षस त्रिपुरासुर पर विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। त्रिपुरासुर के आतंक से देवता त्रस्त थे, और भगवान शिव ने उसका वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई। इस दिन को देवताओं ने दीप जलाकर मनाया, जिससे इसे “देव दीपावली” कहा गया।
2. कार्तिक पूर्णिमा
- कार्तिक पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है, जिससे व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. गंगा आरती और दीप जलाना
- इस दिन गंगा नदी की आरती की जाती है और हजारों दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित किए जाते हैं। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक और दिव्य होता है, जो भक्तों के मन में आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का संचार करता है।
देव दीपावली का जीवन पर प्रभाव
1. आध्यात्मिक ऊर्जा
- देव दीपावली के अनुष्ठान और समारोह भक्तों के मन में गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करते हैं। गंगा आरती, दीयों की रोशनी, और धार्मिक कार्यक्रमों से व्यक्ति के मन में शांति और संतोष की भावना उत्पन्न होती है।
2. सामाजिक एकता और सामूहिकता
- देव दीपावली का त्योहार सामूहिकता और सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस दिन लोग मिलजुलकर दीप जलाते हैं, झांकियां निकालते हैं और एक साथ पूजा करते हैं। यह समाज में भाईचारे और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।
3. पर्यावरणीय जागरूकता
- देव दीपावली के दौरान गंगा की सफाई और दीपों का जलाना पर्यावरणीय जागरूकता को भी बढ़ावा देता है। यह लोगों को अपने पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरूक बनाता है।
4. संस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
- यह त्योहार वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का संरक्षण करता है। स्थानीय कलाकार, संगीतकार और नृत्यांगना इस अवसर पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं, जिससे स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
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