यूजीसी छात्रों को ढाई साल में डिग्री पूरी करने की अनुमति दे ।

छात्र अब समय से पहले पूरा कर सकेंगे अपना डिग्री कोर्स, UGC देने जा रही बड़ी छूट

छात्र आने वाले एकेडमिक ईयर से अपनी डिग्री कोर्स समय से पहले पूरा करने के लिए आजाद होंगे। उन्हें यूजीसी इस बात के लिए छूट देगी।

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) अगले साल से छात्रों को अपने डिग्री कोर्सों को समय से पहले पूरा करने की अनुमति दे देगा। यह जानकारी यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने खुद दी है। इस नई व्यवस्था के तहत छात्रों के पास 3 साल के डिग्री कोर्स को 2.5 साल में और 4 साल के कोर्स को 3 साल में पूरा करने का विकल्प होगा। आयोग छात्रों को अपनी तीन साल की डिग्री को एक साल बढ़ाने का विकल्प भी देगा और पूरे कोर्स में कई एंट्री और एग्जिट पॉइंट का प्रावधान करेगा। यह छूट न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के मुताबिक दी जा रही है।

छात्रों के लिए साबित होगा फायदेमंद

यूजीसी चेयरमैन ने इस बात पर जोर डाला कि इस कदम का उद्देश्य छात्रों को उनकी शिक्षा पर ज्यादा नियंत्रण देना और उन्हें एकेडमिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अपनी सीखने की गति को प्रबंधित करने की अनुमति देना है। उन्होंने आगे कहा कि जो छात्र त्वरित ट्रैक चुनते हैं, वे अपनी डिग्री एक साल पहले पूरी कर सकते हैं, संभावित रूप से वर्कफोर्स में प्रवेश कर सकते हैं या निर्धारित समय से पहले आगे की पढ़ाई कर सकते हैं। पढ़ाई को रोकने और फिर से शुरू करने के इस दृष्टिकोण से, छात्र अपनी शिक्षा को पर्सनल या प्रोफेसनल प्रतिबद्धताओं को साथ संतुलित करने में सक्षम होंगे।

यह योजना आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर वी कामकोटि के नेतृत्व वाली कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है। एम जगदीश कुमार ने आगे कहा कि यह योजना उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगा जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए अधिक समय लेना चाहते हैं।

छात्रों के लिए कैसे फायदेमंद है ये योजना?

* छात्र अपनी क्षमताओं और जीवन परिस्थितियों के अनुसार सीख सकते हैं।

* जो लोग अपनी पढ़ाई जल्दी पूरी करना चाहते हैं, वे पारंपरिक समयसीमाओं में फंसे बिना ऐसा कर सकते हैं।

* उन्हें अपनी पढ़ाई के साथ-साथ कार्य एक्सपीरिएंस हासिल करने का अवसर मिलेगा।

* 4 वर्षीय डिग्री कार्यक्रम छात्रों को कई तरह से मदद करेगा। वे अपने अंतिम वर्ष के दौरान रिसर्च प्रोजेक्ट, पेटेंट आवेदनों और अकादमिक प्रकाशनों जैसी अन्य गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे।

* यह दृष्टिकोण ड्रॉपआउट दरों को कम करेगा और छात्र के जीवन में निरंतर पढ़ाई का समर्थन करेगा।

* छात्रों को अपने ग्रेजुएशन के दौरान विभिन्न विषयों का पता लगाने की छूट होगी। इससे आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान कौशल विकसित होंगे जो आज के जॉब सेक्टर के लिए आवश्यक हैं।

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