:पाकिस्तानी सरजमीं पर भारतीय स्वैग: पाकिस्तान के PM शहबाज शरीफ से मिले विदेश मंत्री एस जयशंकर:

पाकिस्तान में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन का 15 अक्टूबर को पहला दिन है। विदेश मंत्री एस जयशंकर आज इस्लामाबाद पहुंचे। पीएम शहबाज शरीफ ने SCO नेताओं के लिए डिनर रखा। यहीं पीएम शहबाज और जयशंकर की मुलाकात हुई। पाकिस्तानी पीएम ने आगे आकर हैंड शेक किया। दोनों नेताओं के बीच कुछ देर क्या बातचीत हुई, यह सामने नहीं आई है। जयशंकर करीब 9 साल बाद पाकिस्तान जाने वाले पहले भारतीय नेता हैं। इससे पहले 14 अक्टूबर को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक इंटरव्यू में कहा था-

SCO की मीटिंग में शामिल होने अगर मोदी आते तो ज्यादा अच्छा होता, मुझे उम्मीद है कि मैं उनसे जल्द मुलाकात करूंगा।

 

दरअसल, पाकिस्तान ने अगस्त में प्रधानमंत्री मोदी को SCO का न्योता भेजा था, लेकिन दोनों देशों के बीच खराब रिश्तों के चलते विदेश मंत्री को भेजा गया। जयशंकर पहले ही कह चुके हैं कि पाकिस्तान जाने का इकलौता मकसद SCO है, वे दोनों देशों के रिश्तों पर चर्चा नहीं करेंगे।

 

भारत के अलावा रूस और चीन समेत 10 देशों के प्रतिनिधि भी SCO की बैठक में शामिल होंगे। इसके मद्देनजर सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए इस्लामाबाद में लॉकडाउन लगा दिया गया है। साथ ही पूरे शहर में 3 दिन के लिए छुट्टी की घोषणा कर दी गई है। 8 साल 10 महीने बाद पाकिस्तान दौरा विदेश मंत्री जयशंकर 8 साल 10 महीने बाद पाकिस्तान जाने वाले भारत के पहले नेता हैं। इसलिए भी ये दौरा खास है। उनसे पहले 25 दिसंबर 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। तब मोदी एक सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचे थे।

 

उन्होंने पाकिस्तान के PM नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। उनके इस दौरे के बाद से भारत के किसी भी प्रधानमंत्री या मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा नहीं की है। मोदी के दौरे के एक साल बाद ही 2016 में 4 आतंकी उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में घुस गए थे। इस हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे।

 

तब से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते और खराब हो गए। हालांकि इन सब के बावजूद पिछले साल गोवा में SCO देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आए थे।

 

SCO में ऐसा क्या है कि भारत-पाकिस्तान आपसी दुश्मनी किनारे कर इसकी बैठकों में शामिल होने जाते हैं…संगठन से जुड़े 3 अहम सवालों के जवाब

सवाल 1: SCO कब बना, इसे बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? जवाब: 1991 में सोवियत यूनियन कई हिस्सों में टूट गया। इसके बाद रूस के पड़ोसी देशों के बीच बाउंड्री तय नहीं होने की वजह से सीमा विवाद शुरू हो गया। ये विवाद जंग का रूप न ले, इसके लिए रूस को एक संगठन बनाने की जरूरत महसूस हुई।

 

रूस को यह भी डर था कि चीन अपनी सीमा से लगे सोवियत यूनियन के सदस्य रहे छोटे-छोटे देशों की जमीनों पर कब्जा न कर ले। ऐसे में रूस ने 1996 में चीन और पूर्व सोवियत देशों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया। इसका ऐलान चीन के शंघाई शहर में हुआ, इसलिए संगठन का नाम- शंघाई फाइव रखा गया। शुरुआत में इस संगठन के 5 सदस्य देशों में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान शामिल थे।

 

जब इन देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ गए तो इसे एक अंतरराष्ट्रीय संगठन का रूप दिया गया। 2001 में इन पांच देशों के साथ एक और देश उज्बेकिस्तान ने जुड़ने का ऐलान किया, जिसके बाद इसे शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO नाम दिया गया।

सवाल 2: भारत SCO में कब और क्यों शामिल हुआ? जवाब: SCO बनने के बाद भारत को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया था। हालांकि उस समय भारत ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था।

 

इस बीच चीन ने पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्य बनाने की मुहिम शुरू कर दी। इससे रूस को संगठन में चीन के बढ़ते दबदबे का डर लगने लगा। तब जाकर रूस ने भारत को भी इस संगठन में शामिल होने की सलाह दी।

 

इसके बाद 2017 में भारत इस संगठन का स्थायी सदस्य बना। भारत के इस संगठन में शामिल होने की 5 और वजहें भी हैं…

 

भारत का ट्रेड SCO के सदस्य देशों के साथ बढ़ता जा रहा था, ऐसे में इस संगठन से संबंध बेहतर करने के लिए।

सेंट्रल एशिया में अगर भारत को पहुंच बढ़ानी है तो शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन अहम है। इसकी वजह ये है कि इस संगठन में सेंट्रल एशिया के सारे देश एक साथ बैठते हैं। अफगानिस्तान पर अपना पक्ष रखने के लिए भारत के पास कोई दूसरा संगठन नहीं है। अगर भारत को अफगानिस्तान में अपनी भूमिका तय करनी है तो उसे इन सभी देशों के सहयोग की जरूरत है।

आतंकवाद और ड्रग्स की समस्या को खत्म करने के लिए भारत को SCO के देशों के सहयोग की जरूरत है।

सेंट्रल एशिया के देशों को भी इस संगठन में भारत की जरूरत थी। वो छोटे-छोटे देश नहीं चाहते थे जिससे केवल चीन और रूस ही संगठन में दबदबा बनाए रखें। इसके लिए वो भारत को बैलेंसिंग पावर के तौर पर चाह रहे थे।

सवाल 3: आखिर SCO का मुख्य उद्धेश्य और काम क्या है? जवाब: SCO देशों ने जब सीमा विवाद को सुलझा लिया तो इसका उद्देश्य बदल गया। अब इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों को तीन तरह के ईविल यानी शैतानों से बचाना था…

 

अलगाववाद

आतंकवाद

धार्मिक कट्टरपंथ

रूस को लगता था कि उसके आसपास के देशों में कट्टरपंथी सोच न बढ़े। अफगानिस्तान, सऊदी अरब और ईरान के करीब होने की वजह से ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में आतंकी संगठन पनपने भी लगे थे, जैसे- IMU यानी इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान में HUT। ऐसे में SCO के जरिए रूस और चीन ने इन तीन तरह के शैतानों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। इसके अलावा सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास और संबंधों को मजबूत करना भी इस संगठन का मुख्य काम है। सदस्य देशों के बीच ये संगठन राजनीति, व्यापार, इकोनॉमी, साइंस, टेक्नोलॉजी, एनर्जी, पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का काम कर रहा है।

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